प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 ई. को इसका तात्कालिक कारण आस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिनेंड की बोस्निया की राजधानी सराजेवो मेँ की गई हत्या थी।
यह युद्ध 4 वर्षो अर्थात 1918 तक चला। इसमेँ 37 देशों ने भाग लिया।
प्रथम विश्व युद्ध मेँ संपूर्ण विश्व दो भागोँ मेँ बंटा था – मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र।
धुरी राष्ट्रोँ का नेतृत्व जर्मनी ने किया। इसमेँ शामिल अन्य देश थे – ऑस्ट्रिया, हंगरी, तुर्की, इटली आदि।
मित्र राष्ट्रोँ मेँ इंग्लैण्ड, फ्रांस, रुस, जापान तथा संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल थे।
इटली बाद मेँ धुरी राष्ट्रोँ से अलग होकर मित्र राष्ट्र की तरफ जा मिला।
क्रांति के बाद रुस युद्ध से अलग हो गया।
संयुक्त राज्य अमेरिका प्रारंभ मेँ तटस्थ था, लेकिन जर्मनी द्वारा ब्रिटेन के लूसीतोनिया जहाज डुबोने तथा अमेरिकी जहाजों को ढूढने के बाद वह मित्र राष्ट्रोँ की तरफ से युद्ध मेँ उतरा।
लूसीतोनिया जहाज डूबने वालोँ मेँ अमेरिकियों की संख्या अधिक थी।
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति 11 नवंबर 1918 को हुई।
18 जून, 1918 को पेरिस मेँ शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 27 देशों के नेताओं ने भाग लिया।
पेरिस, शांति सम्मेलन मेँ अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरों विल्सन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लॉयड जॉर्ज तथा फ्रांस के प्रधानमंत्री जॉर्ज कलीमेन्शु की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी के साथ वर्साय की संधि, ऑस्ट्रिया के साथ सेंट जर्मेन की संधि, बुलगारिया के साथ न्यूली की संधि, हंगरी के साथ त्रिआनों की संधि तथा तुर्की के साथ सेब्रे की संधि की।
मित्र राष्ट्रों ने पराजित जर्मनी के साथ काफी अन्यायपूर्ण वर्साय की संधि की थी, जिसके कारण पूरे विश्व को 20 वर्ष बाद पुनः पुणे एक और विश्वयुद्ध मेँ उलझना पड़ा।
युद्धोपरांत विश्व मेँ शांति स्थापना के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था राष्ट्र संघ या लीग ऑफ नेशंस की स्थापना 1920 मेँ की गई।