19वीँ सदी के प्रारंभ मेँ इटली कई कई छोटे-छोटे राज्योँ मेँ बंटा था, जिसमेँ सबसे शक्तिशाली सार्डिनिया का राज्य था।
इटली मेँ राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने का श्रेय नेपोलियन बोनापार्ट को है।
इटली के एकीकरण के मार्ग मेँ ऑस्ट्रिया सबसे बडा बाधक था।
इटली के एकीकरण का जनक जोसेफ मेजिनी को माना जाता है। उसने यंग इटली नामक संस्था की स्थापना की। गिबर्टी ने कार्बोनरी नामक गुप्त संस्था की स्थापना की।
1851 मेँ पीडमौंट सार्डिनिया के साथ सक विक्टर इमैनुएल ने काउंट काबूर को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
1854 ई. मेँ क्रीमिया के युद्ध मेँ भाग लेकर काबूर ने इटली की समस्या को अंतर्राष्ट्रीय समस्या बना दिया।
एकीकरण के प्रथम चरण मे काबूर ने फ्रांस की सहायता से 1858 ई. मेँ ऑस्ट्रिया को पराजित कर लोग लोम्बार्डी का क्षेत्र प्राप्त किया।
ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध के समय ही परमा, टस्कनी, मोडेना आदि राज्योँ ने जनमत संग्रह के आधार पर अपने को सार्डिनिया मेँ मिला लिया था। यह का एकीकरण का द्वितीय चरण था।
एकीकरण के तृतीय चरण का श्रेय गैरीबाल्डी को दिया जाता है।
गैरीबाल्डी ने लालकुर्ती नाम से सेना का संगठन किया था।
गैरीबाल्डी को इटली के एकीकरण की तलवार कहा जाता है।
तृतीय चरण मेँ गैरीबाल्डी ने सिसली को जीत लिया। उसके बाद नेपल्स के राजमहल मेँ विक्टर इमैनुएल को को संयुक्त इटली का शासक घोषित किया गया।
पीडमौंट सार्डिनिया का नाम बदल कर इटली का राज्य कर दिया गया।
1870 ई. मेँ प्रशा एवँ फ्रांस के बीच युद्ध का लाभ उठाकर रोम पर अधिकार करके, उसे इटली की राजधानी बनाया गया। यह एकीकरण का चतुर्थ एवँ अंतिम चरण था। इटली के एकीकरण का श्रेय मेजिनी काबूर तथा गैरीबाल्डी को दिया जाता है।