जर्मनी के एकीकरण का श्रेय बिस्मार्क को है। बिस्मार्क प्रशा के शासक विलियम प्रथम का प्रधानमंत्री था।
19वीँ सदी मेँ जर्मनी अनेक छोटे छोटे राज्योँ मेँ बंटा था, जिसमे प्रशा सबसे शक्तिशाली राज्य था।
जर्मनी मेँ राष्ट्रीयता की भावना जगाने का श्रेय नेपोलियन को है। नेपोलियन ने छोटे छोटे राज्योँ को मिलाकर 39 राज्योँ का एक संघ बनाया, जो राइन संघ कहा जाता था।
1832 ईस्वी मेँ प्रशा ने जर्मनी के 12 राज्योँ के सहयोग के आधार पर एक चुंगी-संबंधी समझौता करके जालवरीन नामक आर्थिक संगठन का निर्माण किया।
बिस्मार्क को 1862 ई. मेँ प्रशा का चांसलर नियुक्त किया गया।
बिस्मार्क जर्मनी का एकीकरण प्रशा के नेतृत्व मेँ चाहता था। जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क का ऑस्ट्रिया एवं फ्रांस से युद्ध करना निश्चित था।
1832 से 1850 तक जर्मनी पर ऑस्ट्रिया का आधिपत्य था।
एकीकरण के क्रम मेँ प्रशा को डेनमार्क, ऑस्ट्रिया तथा फ्रांस से युद्ध करना पडा।
1864 मेँ शेल्जविग तथा होलस्टीन के प्रश्न पर जर्मनी का डेनमार्क से युद्ध हुआ। डेनमार्क पराजित हुआ। दोनोँ के बीच गैस्टीन की संधि 1865 ई. में हुई।
अपनी कूटनीति से बिस्मार्क ने आस्ट्रेलिया को यूरोप की राजनीति मेँ अकेला कर दिया। दोनो मेँ 1866 ई. मेँ युद्ध हुआ, जिसमेँ आस्ट्रिया की पराजय हुई तथा प्राग की संधि के अनसार जर्मनी का राज्य भंग कर दिया गया।
एकीकरण के अंतिम चरण मेँ प्रशा एवं फ्रांस के बीच 1870 ई. मेँ युद्ध हुआ, जिसमे फ्रांस की पराजय हुई। दोनो मेँ फ्रैंकफर्ट की संधि हुई।
प्रशा का राजा विलियम प्रथम जर्मन सम्राट बना, उसे कैसर की उपाधि से विभूषित किया गया।
बिस्मार्क ने लौह एवं रक्त की नीति का अनुसरण करते हुए जर्मनी का एकीकरण कर दिया।
विलियम प्रथम का राज्याभिषेक प्रसिद्ध वर्साय के महल मेँ संपन्न हुआ।