कांग्रेसः बनारस, कलकत्ता एवं सूरत अधिवेशन
18 वर्ष की आयु में स्नातक, 20 वर्ष की आयु में प्रोफेसर तथा सुधारक के सह संपादक, 25 वर्ष की आयु में सार्वजनिक सभा और प्रांतीय सम्मेलन के मंत्री, 29 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय कांग्रेस के मंत्री, 31 वर्ष की आयु में महत्वपूर्ण रॉयल कमीशन के समक्ष अग्रणी प्रवाह, 34 वर्ष की आयु में प्रांतीय विधायक, 36 वर्ष की आयु में इम्पीरियल विधायक 39 वर्ष की आयु में भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष.......... एक देश भक्त जिसे महात्मा गांधी ने स्वयं अपना गुरु माना है - गोपाल कृष्ण गोखले I.A.S. (Pre) 1997
- गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को कोल्हापुर (महाराष्ट्र) के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ।
- 1884 में बी.ए. पास करने के बाद (18 वर्ष में) वह रानाडे द्वारा स्थापित दक्कन शिक्षा सभा (Daccan Education Society) में सम्मिलित हो गए।
- उन्होंने 20 वर्ष तक इस सभा की सेवा भिन्न - भिन्न रुपों में की अर्थात विद्यालय के मुख्य अध्यापक, फगर्यूसन कॉलेज पूना के प्राध्यापक के रुप में और फिर प्रिसिंपल के रुप में।
- पहली बार 1888 में इलाहाबाद कांग्रेस अधिवेशन के मंच से राजनीति में भाग लिया, 1897 में उन्हें और वाचा को भारतीय व्यय के लिए नियुक्त वेल्बी आयोग के सम्मुख साक्ष्य देने को कहा गया।
- 1902 में वह बंबई में संविधान परिषद के लिए और कालांतर में Imperial Legislative Council के लिए चुने गए।
- अपने राजनैतिक दर्शन के वह सच्चे उदारवादी थे।
- वह समभाव और मृदु न्यायप्रियता में विश्वास करते थे।
- इन्हीं कारणों से महात्मा गांधी उनसे प्रभावित हुए और उनके राजनैतिक शिष्य बन गए।
गोपाल कृष्ण गोखले ने कांग्रेस के लिए अधिवेशन में अध्यक्षता की - 1905 U.P. Lower Sub (Pre) 2003/U.P. Lower Sub (Pre) 2004
- गोपाल कृष्ण गोखले ने कांग्रेस के बनारस अधिवेशन (1905) की अध्यक्षता की।
- 1905 में ही इन्होंने भारत सेवक समाज (Servants Of India Society) की स्थापना की थी।
किस नेता ने 1906 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी - दादाभाई नौरोजी B.P.S.C. (Pre) 2000
- 1906 के कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में विभाजन की नौबत आ गई थी, लेकिन दादाभाई नौरोजी के अध्यक्ष बनने से संभावित विभाजन उस समय टल गया।
- दादाभाई नौरोजी को लगभग सभी राष्ट्रवादी एक सच्चा देशभक्त मानते थे।
- राजनीतिक विचारों से दादाभाई पूर्ण राजभक्त थे।
- वह समझते थे कि भारत में अंग्रेजी राज्य से बहुत लाभ हुआ है और वह इस साहचर्य (Association) के सदा बने रहने में अभिरुचि रखते थे।
- राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में ही पहली बार दादाभाई ने स्वराज्य की मांग की।
स्वराज को बतौर राष्ट्रीय मांग के रुप में सर्वप्रथम रखा था - दादाभाई नौरोजी ने P.C.S. (Pre) 2002
- 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में कांग्रेस के मंच से स्वराज की मांग पहली बार करने का श्रेय दादाभाई नौरोजी को है।
कांग्रेस ने स्वराज प्रस्ताव वर्ष 1905 में पारित किया, प्रस्ताव का उद्देश्य था - स्व-शासन सुनिश्चित करना B.P.S.C. (Pre) 2011
- कांग्रेस ने स्वराज संबंधी प्रस्ताव पर सर्वप्रथम वर्ष 1905 में बनारस अधिवेशन में चर्चा हुई एवं 1906 में कलकत्ता के अधिवेशन में पूर्णरुप से पारित कर दिया गया।
इस प्रस्ताव के साथ स्वदेशी, बहिष्कार तथा राष्ट्रीय शिक्षा संबंधी प्रस्ताव भी पारित किए गए।
कांग्रेस के मंच से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में प्रथम बार स्वराज शब्द व्यक्त किया गया था - कलकत्ता अधिवेशन, 1906 U.P.P.C.S. (Pre) 2014
- कांग्रेस के मंच से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन, 1906 में प्रथम बार स्वराज शब्द दादा भाई नौरोजी द्वारा व्यक्त किया गया था।
- दादाभाई नौरोजी ने स्वराज शब्द की व्याख्या करते हुए इसे कलकत्ता अधिवेशन, 1906 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लक्ष्य बताया था।
स्वराज शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया - दयानंद सरस्वती U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013
- बाल गंगाधर तिलक का कथन था कि स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर रहूंगा।
- हालांकि स्वराज शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग दयानंद सरस्वती ने किया था।
दादाभाई नौरोजी आमतौर पर किस नाम से जाने जाते थे - ग्रांड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया U.P.P.C.S. (Pre) 1991
- दादाभाई नौरोजी को लोग श्रद्धा से भारत के वयोवृद्ध नेता (Grand Old Man Of India) के नाम से स्मरण करते है।
- 1892 में वे पहले भारतीय थे, जो उदारवादी दल की ओर से फिंसबरी से ब्रिटिश संसद के सदस्य चुने गए।
- वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1886, 1893 और 1906 में अध्यक्ष भी रहे।
- सी.वाई.चिंतामणि ने दादाभाई नौरोजी के विषय में कहा था कि भारत के सार्वजनिक जीवन को अनेक बुद्धिमान और निःस्वार्थ नेताओं ने सुशोभित किया है लेकिन हमारे युग में कोई भी दादाभाई नौरोजी जैसा नहीं था।
- दूसरी ओर गोखले ने कहा था - यदि मनुष्य में कहीं देवत्व है तो वह दादाभाई में है।
- दादाभाई नौरोजी ने लंदन इंडियन एसोसिएशन (1862) तथा ईस्ट इंडिया एसोसिएशन (1866) नामक संस्थाएं स्थापित की थी।
नरम दल और गरम दल के रुप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विभाजन किस अधिवेशन में हुआ - सूरत U.P.P.C.S. (Pre) 1990
- 1907 ई. में सूरत में आयोजित कांग्रेस के 23 वें वार्षिक अधिवेशन में उदारवादियों और उग्रवादियों में अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस का विभाजन हो गया।
- उग्रपंथी जहां लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे -
- वहीं उदारवादी रास बिहारी घोष को अध्यक्ष बनाना चाहते थे।
- अंततः रास बिहारी घोष अध्यक्ष बनने में सफल हुए।
- सम्मेलन में उग्रवादियों द्वारा 1906 में पास करवाए गए प्रस्ताव स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वशासन के प्रयोग को लेकर विवाद और गहरा हो गया और अंततः दोनों पक्षों में खुले संघर्ष के बाद कांग्रेस में पहला विभाजन हो गया।
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