संघ की कार्यपालिका - मंत्रिमंडल, महान्यायवादी, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
केंद्रीय मंत्री परिषद से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न-
संसदीय शासन में वास्तविक कार्यपालिका शक्ति किसके पास होती है -प्रधानमंत्री के पास
भारत के प्रधानमंत्री संसद के उच्च सदन के सदस्य हैं तो भी अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में अपने पक्ष में वोट नहीं दे सकेंगे।
भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में मंत्री परिषद का प्रावधान है - अनुच्छेद 75
प्रधानमंत्री बनने के लिए न्यूनतम आयु होनी चाहिए - 25 वर्ष
लोकसभा में मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने हेतु न्यूनतम सदस्य संख्या है - 50
एक से अधिक बार प्रधानमंत्री नियुक्त हुए हैं - जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, गुलजारीलाल नंदा, अटल बिहारी बाजपेई, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी।
भारत के प्रधानमंत्रियों में से अपने कार्यकाल में संसद में कभी भी उपस्थित नहीं हुए - चौधरी चरण सिंह
संविधान में मंत्रिमंडल शब्द का प्रयोग एक बार हुआ है - अनुच्छेद 352 में
किस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति को जानकारी देने का प्रधानमंत्री का कर्तव्य है - अनुच्छेद 78
प्रथम गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री कौन बने थे - मोरारजी देसाई
महान्यायवादी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य -
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 में भारत के महान्यायवादी का उल्लेख किया गया है। महान्यायवादी भारत सरकार का सर्व प्रथम विधि अधिकारी होता है तथा इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
यह भारत सरकार को विधि संबंधी विषयों पर सलाह देता है।
अनुच्छेद 76(1) के अनुसार उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यता रखने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति महान्यायवादी नियुक्त करता है।
महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करता है जो राष्ट्रपति निर्धारित करें। महान्यायवादी को भारत के राज्य क्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार है।
अनुच्छेद 88 महान्यायवादी किसी भी सदन या उसकी समिति में बोल सकता है परंतु मत नहीं दे सकता। महान्यायवादी को ही अटार्नी जनरल भी कहा जाता है।
इसकी सहायता के लिए एक सॉलीसीटर जनरल और अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल होते हैं।
महान्यायवादी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न -
भारत सरकार को कानूनी विषयों पर परामर्श देता है - अटार्नी जनरल अर्थात भारत का महान्यायवादी
महान्यायवादी को नियुक्त किया जाता है - राष्ट्रपति के द्वारा
सॉलीसीटर जनरल होता है - कानूनी या न्यायिक सलाहकार
कानूनी विषयों पर केंद्र सरकार को परामर्श देता है - महान्यायवादी
नियंत्रक महालेखा परीक्षक से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य - -
अनुच्छेद 148 के अनुसार नियंत्रक महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
नियंत्रक महालेखा परीक्षक का कार्य देश समस्त वित्तीय प्रणाली संघ और राज्य दोनों स्तरों का नियंत्रण करना है। यह सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है।
नियंत्रक महालेखा परीक्षक की पदावली 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होती है। यह अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को देता है।
यह सेवानिवृत्ति के पश्चात भारत सरकार के अधीन किसी भी पद को ग्रहण नहीं कर सकता है।
साबित कदाचार है या असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों के समावेदम पर हटाया जा सकता है जिस प्रकार उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक केंद्र सरकार के लेखक से संबंधित रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है जो उसे संसद के पटल पर रख पाते हैं।
सरकार के लेखक से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को देता है जो उसे विधानमंडल के पटल पर रखावाते हैं।
भारत और प्रत्येक राज्य एवं संघ शासित क्षेत्र की संचित निधि से व्यय की समीक्षा करना।
संघ और राज्यों की आकस्मिक निधि एवं लोक लेखा उसे व्यय की समीक्षा करना।