कांग्रेस में गरम दल और नरम दल
कांग्रेस के नरम - दल के नेताओं की आंदोलन की पद्धति थी - राजावांमबध्य आंदोलन B.P.S.C. (Pre) 2008
- कांग्रेस के नरम दल के नेताओं की आंदोलन की प्रमुख पद्धति राजावांमबध्य आंदोलन अर्थात प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी की मांग तथा जनता में राजनीतिक जागरुकता उत्पन्न करना था।
- वहीं उग्रवादियों की मुख्य मांगें अनुकूल प्रविघटन पद्धति की थी।
- 1907 ई. में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस नरमपंथी और गरमपंथी दो अलग - अलग गुटों में विभक्त हो गई।
किस आंदोलन के कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विभाजन हुआ जिसके परिणामस्वरुप नरम दल और गरम दल का उदभव हुआ - स्वदेशी आंदोलन I.A.S. (Pre) 2015
- स्वदेशी आंदोलन तथा विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के बंगाल से बाहर प्रसार को लेकर कांग्रेस के उग्रपंथी तथा नरमपंथी धड़ों के मध्य मतभेद व्याप्त था।
- गरमपंथी आंदोलनकारी स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को बंगाल तक ही सीमित न रखकर उसे देश के अन्य हिस्सों तक पहुचाना चाहते थे।
- वे केवल विदेशी माल के बहिष्कार से ही संतुष्ट नहीं थे, बल्कि वे चाहते थे कि अंग्रेजी हुकुमत को किसी भी तरह का सहयोग न दिया जाए।
- स्वदेशी आंदोलन के बाद दोनों गुटों के मध्य मतभेद और भी गहरा गया, परिणामस्वरुप 1907 ई. के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हो गया।
किसने 1904 से लगातार भारत को स्वशासन देने पर बल दिया - दादाभाई नौरोजी U.P.P.C.S. (Mains) 2016
- वर्ष 1904 में दादाभाई नौरोजी ने भारत के लिए स्वशासन या स्वराज की मांग की।
- वर्ष 1906 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में इनकी अध्यक्षता में स्वदेशी आंदोलन, बहिष्कार आंदोलन, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वशासन से संबद्ध चार प्रस्ताव पारित किया गया।
किसने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर प्रार्थना, याचना तथा विरोध की राजनीति करने का आरोप लगाया - बाल गंगाधर तिलक U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002/U.P. Lower Sub. (Spl) (Pre) 2002
- 1906 ई. के बाद भारतीय राजनीति में कांग्रेस के अंदर उग्रवादी दल के उदय के साथ - साथ देश में क्रांतिकारी उग्रवादी दलों का आविभीव हुआ।
- उग्रवादी विचारधारा के चार प्रमुख नेता थे - बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, विपिनचंद्र पाल तथा अरबिंद घोष।
- इन नेताओं ने स्वराज्य प्राप्ति को ही अपना लक्ष्य बनाया।
- उन्हें उदारवादी नेताओं की तरह संवैधानिक दायरे के अंदर अपनी मांगें मनवाने में विश्वास नहीं था।
- तिलक ने कहा - हमारा उद्देश्य आत्मनिर्भरता है, भिक्षावृत्ति नहीं।
- उन्होंने कांग्रेस पर प्रार्थना, याचना तथा विरोध की राजनीति करने का आरोप लगाया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को किसने भीख मांगने वाली संस्था (बेगिंग इंस्टीट्यूट) कहा था - तिलक ने U.P. Lower Sub. (Spl) (Pre) 2008
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर, 1885 को बंबई स्थित गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय में की गई थी।
- उग्र विचारधारा वाले नेताओं ने कांग्रेस के बारे में नकारात्मक टिप्पणियां की।
- उनमें से एक बाल गंगाधर तिलक ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को याचना संस्था (बेगिंग इंस्टीट्यूट) की संज्ञा दी।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन गरमपंथियों के प्रभावाधीन आया - 1906 के बाद B.P.S.C. (Pre) 1999
- 1906 ई. के बाद भारतीय राजनीति में कांग्रेस के भीतर गरम दल का प्रभाव बढ़ा।
- गरम दल का नेतृत्व प्रमुख कांग्रेसी नेताओं - बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिनचंद्र पाल तथा अरबिंद घोष ने मिलकर किया।
- इन नेताओं ने स्वराज्य को अपना लक्ष्य बनाया।
- तिलक ने नारा दिया - स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।
शेरे - ए - पंजाब के नाम से कौन मशहूर थे - लाला लाजपत राय B.P.S.C. (Pre) 2011
- लाला लाजपत राय शेरे - ए -पंजाब के नेता से भी जाने जाते थे।
- ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के नेता तथा पूरे पंजाब के प्रतिनिधि थे।
- इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है।
- लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक तथा बिपिन चंद्र पाल को लाल - बाल - पाल के नाम से भी जाना जाता है।
- साइमन कमीशन का विरोध के समय हुए में लाठीचार्ज से लाला लाजपत राय घायल हुए, जिसके कारण 17 नवंबर, 1928 को इनकी मृत्यु हो गई।
लाला लाजपत राय ने किस एक को अपना राजनीतिक गुरु माना था - मैजिनी को U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013
- लाला लाजपत राय ने इटली के क्रांतिकारी (राष्ट्रपिता) मैजिनी के जीवनकृत को पढ़ने के बाद उन्हें अपना राजनीतिक गुरु माना तथा बाद में उन्होंने मैजिनी की उत्कृष्ट रचना द ड्यूटी ऑफ मैन का उर्दू में अनुवाद भी किया।
किसे भारतीय अशांति के जनक के रुप में जाना जाता है - लोकमान्य तिलक U.P.P.D.A./L.D.A. (Pre) 2001
- तिलक सेवा और बलिदान में विश्वास करते थे और उनमें सरकार की सत्ता को चुनौती देने का साहस था।
- यह उन्हीं के प्रयत्नों का परिणाम था कि कांग्रेस सरकार की प्रशंसा करने वाली संस्था से बदलकर सरकार की आलोचक संस्था बन गई।
- एंग्लो इंडियन नौकरशाही उन्हें विद्रोही समझती थी।
- सर वैलेन्टाइन शिरोल ने उन्हें भारत में अशांति का जन्मदाता कहा था।
- तिलक शिरोल पर मानहानि का मुकदमा चलाने के उद्देश्य से इंग्लैंज गए थे।
- यद्यपि वे मुकदमा हार गए, किंतु इसका उचित प्रभाव हुआ।
बी.जी. तिलक को सजा के पश्चात किसने दया की वकालत की थी और कहा था - संस्कृत के एक विद्वान के रुप में तिलक में मेरी दिलचस्पी है - मैक्स मुलर U.P.P.C.S. (Pre) 2014
- बाल गंगाधर तिलक को सजा सुनाए जाने के पश्चात प्रसिद्ध विद्वान मैक्स मुलर ने 17 फरवरी, 1898 को प्रिवि कौंसिल के सदस्य सर जान लुब्बॉक को लिखे एक पत्र में दया की वकालत करते हुए यह कहा था कि संस्कृत के एक विद्वान के रुप में तिलक में मेरी दिलचस्पी है।
किसने महाराष्ट्र के गणपति उत्सव का ऐसा कायाकल्प किया कि वह एक राष्ट्रीय उत्सव हो गया और उसका स्वरुप राजनैतिक हो गया - बाल गंगाधर तिलक U.P.P.C.S. (Mains) 2007
1908 में 6 वर्ष के कारावास की सजा स्वतंत्रता संग्राम के किस उग्रवादी नेता को दी गई थी - बाल गंगाधर तिलक P.C.S. (Pre) 2010
- 1908 में बाल गंगाधर तिलक को केसरी में प्रकाशित लेखों के आधार पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर 6 वर्ष के कारावास की सजा देकर मांडले जेल (बर्मा) भेज दिया गया था।
- तिलक को हुई इस सजा के विरोधस्वरुप बंबई के कपड़ा मिल मजदूरों ने देश में पहली राजनीतिक हड़ताल की थी।
- माण्डले जेल में ही इन्होंने गीता रहस्य नामक पुस्तक लिखी थी।
महात्मा गांधी के साथ मुसलमानों में से किसने बाल गंगाधर तिलक की अर्थी उठाई थी - शौकत अली U.P.P.C.S. (Pre) 2014
- बाल गंगाधर तिलक की 1 अगस्त, 1920 को हुई मृत्यु के बाद उनकी अर्थी को महात्मा गांधी के साथ मौलाना शौकत अली तथा डॉ. सैफुद्दीन किचलू ने उठाया था।
- मौलाना हसरत मोहानी ने उस समय शोक गीत पढ़ा था।
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