ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में उद्योगों का कोई स्वतंत्र विकास नहीं हुआ। इसका कारण था - भारी उद्योगों का अभाव I.A.S. (Pre) 1999
- ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में भारी उद्योगों के अभाव के कारण उद्योगों का कोई स्वतंत्र विकास नहीं हो सका।
इस्तमरारी बंदोबस्त किसने लागू किया - लॉर्ड कार्नवालिस U.P.P.C.S. (Pre) 1991
बिहार में परमानेंट सेटिलमेंट लागू करने का कारण था - जमींदारों के लिए जमीन पर वंश परंपरागत अधिकार को स्वेच्छा से हस्तांतरित करने का अधिकार B.P.S.C. (Pre) 2008
- लॉर्ड कार्नवालिस के समय भू-राजस्व व्यवस्था आरंभ में दस वर्षीय व्यवस्था के रुप में 1790 ई. में लागू की गई थी, जो 22 मार्च, 1793 ई. को परमानेंट सेटिलमेंट के रुप में स्थापित हुई।
- इस व्यवस्था को बिहार में लागू करने का कारण जमींदारों के लिए जमींन पर वंश परंपरागत अधिकार को स्वेच्छा से हस्तांतरित करना तथा मूल कारण कंपनी के लिए भू-राजस्व की एक निश्चित राशि तय करना था।
अंग्रेजों ने रैय्यतवाड़ी व्यवस्था सर्वप्रथम आरंभ की थी - मद्रास प्रेसीडेंसी में U.P.P.C.S. (Mains) 2016
- रैय्यतवाड़ी व्यवस्था सर्वप्रथम 1820 ई. में टॉमस मुनरों ने मद्रास प्रांत में लागू किया था।
- बाद में यह प्रथा बंबई, सिंध, बरार, असम आदि इलाकों में लागू की गई।
ब्रिटिश व्यवस्था में रैयतवारी भू-राजस्व संग्रह प्रचलित था - दक्षिणी भारत में U.P.P.C.S. (R.I.) 2014
- ब्रिटिश व्यवस्था में रैयतवारी भू-राजस्व संग्रह दक्षिण भारत में प्रचलित था।
- जिसमें मद्रास प्रेसीडेंसी प्रमुख थी।
- इस प्रणाली को कैप्टन अलेक्जेंडर रीड और थॉमस मुनरो ने 18 वीं शताब्दी के अंत में शुरु किया था।
असम के सर्वप्रथम चाय कंपनी की स्थापना कब हुई थी - 1839 में U.P.R.O./A.R.O (Pre) 2016
- असम की सर्वप्रथम चाय कंपनी की स्थापना 1839 ई. में हुई थी।
- यह कंपनी 5 लाख रु. की पूंजी के साथ इंग्लैंड में स्थापित की गई थी तथा नजीरा, असम में इस कंपनी का मुख्यालय था
- द असम कंपनी भारत की सबसे पुरानी व्यावसायिक चाय कंपनी है जो वर्तमान में भी कार्यरत है।
अंग्रेजों के शासनकाल में भारत के आर्थिक दोहन के सिद्धांत को किसने प्रतिपादित किया - दादाभाई नौरोजी U.P.P.C.S. (Pre) 1995/U.P.P.C.S. (Mains) 2004
कौन दादाभाई नौरोजी के उत्सारण सिद्धांत में विश्वास नहीं करता था - सर सैय्यद अहमद खां I.A.S. (Pre) 1996
- सर सैय्यद अहमद खां ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार थे और मुस्लिम समाज का विकास वे भारत में आंग्ल सत्ता के बने रहने में ही संभव मानते थे।
- वे दादाभाई नौरोजी के उत्सारण सिद्धांत में विश्वास नहीं करते थे।
पावर्टी एंड द अनब्रिटिश रुल इन इंडिया नामक पुस्तक किसने लिखि - दादाभाई नौरोजी U.P.P.C.S. (Mains) 2004
- दादाभाई नौरोजी (1825 - 1917) ने 1865 में डब्ल्यू.सी. बनर्जी के साथ मिलकर लंदन इंडिया सोसायटी का गठन किया, जिसका कार्य भारत के दुःख दर्दों का प्रचार करना था।
- 1892 में लिबरल पार्टी के टिकट पर ब्रिटिश हाउस ऑफ कामंस के लिए चुने जाने वाले यह पहले भारतीय थे।
- इन्होंने अपने लंबे निबंध पावर्टी एंड अन - ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की आर्थिक दुरावस्था पर प्रकाश डाला तथा धन के बहिर्गमन अथवा धन के निकास सिद्धांत का सर्वप्रथम प्रतिपादन किया।
ड्रेन थ्योरी किसने दी थी - दादाभाई नौरोजी I.A.S. (Pre) 1993
- दादाभाई नौरोजी आधुनिक भारत के प्रथम ऐसे राष्ट्रवादी नेता थे जिन्होंने गहरे शोध और विश्लेषण के बल पर यह सिद्ध किया कि ब्रिटेन भारत का आर्थिक शोषण कर रहा है और प्रतिवर्ष एक निश्चित रकम इंग्लैंड ले जाई जा रही है। इसके परिप्रेक्ष्य में ही उन्होंने अपनी ड्रेन थ्योरी दी।
किसने यह विचार किया था कि भारत में ब्रिटिश आर्थिक नीति घिनौनी है - कार्ल मार्क्स U.D.A./L.D.A. (Mains) 2007
- कार्ल मार्क्स ने यह विचार व्यक्त किया था कि ब्रिटिश आर्थिक नीति घिनौनी है।
- अंग्रेजी हस्तक्षेप से सूत काटने वाला तो लंकाशायर में रहता है।
- तंतुवाय बंगाल और उसका आर्थिक आधार समाप्त होने के कारण लगभग लुप्त हो गया है।
- लाखों चरखों और हथकरघों ने असंख्य कातने वालों, बुनकरों को जन्म दिया तथा वे समाज के केंद्र बिंदु बने रहे।
- लेकिन अब इस देश में सूती कपड़े की मानो बाढ़ आ गई है।
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