गुप्तोत्तर काल
गुप्त युग में भूमि राजस्व की दर क्या थी - उपज का छंठा भाग
- गुप्तकाल में जो लोग राजकीय भूमि पर कृषि करते थे उन्हें अपनी उपज का एक भाग राजा को कर के रुप में देना पड़ता था, जो सामान्यतः उपज का छंठा भाग होता था।
- गुप्त अभिलेखों में भूमि कर को उद्रंग तथा भागकर कहा गया है।
गुप्त साम्राज्य द्वारा किसे कर - रहित कृषि भूमि प्रदान की जाती थी - ब्राह्मणों को
- गुप्तकाल में मंदिरों एंव ब्राह्मणों को जो भूमि दान में दी जाती थी उसे अग्रहार कहा जाता था।
- ऐसी भूमि सभी प्रकार के करोंं से मुक्त होती थी तथा इनके ऊपर धारकों का पूर्ण स्वामित्व होता था।
- इस प्रकार के भूमिदान का एकमात्र उद्देश्य धार्मिक एवं शैक्षणिक था।
तीसरी शताब्दी में वारंगल प्रसिद्ध था - लोहे के यंत्रों / उपकरणों हेतु
- तीसरी शताब्दी में वारंगल लोहे के यंत्रों /उपकरणों हेतु प्रसिद्ध था। वारंगल में अगरिया लोग बड़ी संख्या में रहते थे।
- अगरिया लोगों का यंत्र एवं उपकरण बनाना परंपरागत व्यवसाय रहा है।
किसने हूण शासक मिहिरकुल को पराजित किया था - यशोधर्मन
- मिहिरकुल हूण शासक तोरमाण का पुत्र तथा उत्तराधिकारी था।
- मिहिरकुल अत्यंत क्रूर एवं अत्याचारी शासक था।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा मंदसोर लेख के साक्ष्य से ज्ञात होता है कि सबसे पहले गुप्त नरेश बालादित्य और उनके बाद मालव नरेश यशोधर्मन द्वारा मिहिरकुल को बुरी तरह पराजित किया गया था।
शतरंज का खेल कहाँ उदभूत हुआ था - भारत में
- शतरंज का खेल भारत में गुप्तकाल के दौरान उदभूत हुआ था जहाँ इसे चतुरंग के नाम से जाना जाता था।
- भारत से यह ईरान और उसके बाद यूरोप में पहुँचा।
कपिल मुनि द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक प्रणाली है - सांख्य दर्शन
- सांख्य दर्शन भारतीय दर्शन के प्राचीनतम संप्रदायों में परिगणित हैष
- महर्षि कपिल को सांख्य दर्शन का प्रतिष्ठापक आचार्य माना जाता है।
- कहा जाता है कि उन्होंने सांख्य - सूत्र एवं तत्वसमास नामक ग्रंथों की रचना की थी।
तोरमाण किस जातीय दल का था - हूण
- तोरमाण भारत पर दूसरे हूण आक्रमण का नेता था।
- धन्यविष्णु उसके शासनकाल के प्रथम वर्ष में उसका सामंत था।
योग दर्शन के प्रतिपादक है - पतंजलि
- महर्षि पतंजलि को योग दर्शन का प्रतिस्थापक आचार्य माना जाता है।
- भारतीय परंपरा में योग - साधना का इतिहास अत्यंत प्राचीन है, उपनिषद, महाभारत, भगवदगीता, जैन और बौद्ध मतों में योग संबंधी क्रियाओं का विवेचन प्राप्त होता है सबसे पहले महर्षि पंतजलि ने ही सुसंबद्ध दार्शनिक सिद्धांत के रुप में योग का विवेचन किया।
- इसीलिए इसे पतंजलि दर्शन भी कहा जाता है।
महाभाष्य के लेखक पतंजलि समसामयिक थे - पुष्यमित्र शुंग के
- महाभाष्य के लेखक पतंजलि शुंग वंश के संस्थापक शासक पुष्यमित्र शुंग (185-149 ई.पू.) के समकालीन थे।
न्याय दर्शन का प्रवर्तन व न्याय दर्शन को प्रचारित किसने किया था - गौतम ने
- न्याय दर्शन का प्रवर्तन गौतम ने किया जिन्हें अक्षपाद भी कहा जाता है।
- न्याय का शाब्दिक अर्थ तर्क या निर्णय होता है।
- न्याय दर्शन में 16 पदार्थों या तत्वों को स्वीकार किया गया है।
- न्याय दर्शन का मूल ग्रंथ गौतम कृत न्यायसूत्र है।
- महर्षि कपिल ने सांख्य दर्शन का तथा जैमिनी ने पूर्व मीमांसा का प्रतिपादन किया था।
कर्म का सिद्धांत संबंधित है - मीमांसा से
- कर्म का सिद्धांत मीमांसा दर्शन से संबंधित है।
- इसे पूर्व मीमांसा, कर्म मीमांसा या धर्म मीमांसा भी कहते है।
मीमांसा के प्रणेता थे - जैमिनी
अद्वैत दर्शन के संस्थापक है - शंकराचार्यशंकराचार्य
- अद्वैत दर्शन के संस्थापक शंकराचार्य है।
- शंकराचार्य ने प्रस्थानत्रयी पर भाष्य लिखकर अद्वैतवाद का समर्थन किया।
- ब्रह्मसूत्र पर उनका भाष्य ब्रह्मसूत्रभाष्य या शारीरिकशास्त्र कहलाता है।
मौखरि शासकों की राजधानी थी - कन्नौज
- मौखरि गुप्तों के सामंत थे जो मूलतः गया के निवासी थे।
- मौखरि वंश के शासकों ने अपनी राजधानी कन्नौज को बनाई।
- इस वंश के प्रमुख शासक हरिवर्मा, आदित्यवर्मा, ईशानवर्मा, सर्ववर्मा एवं ग्रहवर्मा थे।
न्याय दर्शन के प्रवर्तक थे - गौतम
- सांख्य दर्शन - कपिल
- वैशेषिक - कणाद
- मीमांसा - जैमिनी
हर्ष के समय की सूचनाएं किसकी पुस्तकों में निहित हैं - कल्हण
- हर्ष के समय की विस्तृत सूचना इसके दरबारी कवि बाणभट्ट की कृति हर्षचरित से प्राप्त होती है।
- इससे जुड़ी कुछ सूचनाएं कल्हण कृति राजतरंगिणी में भी मिलती है।
हर्ष साम्राज्य की राजधानी थी - कन्नौज
- चीनी स्त्रोतों से पता चलता है कि हर्ष एवं राज्यश्री दोनो साथ कन्नौज के राजसिंहासन पर बैठते थे।
- हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौज स्थानांतरित की, ताकि वह राज्यश्री को प्रशासनिक कार्यों में पूरी सहायता प्रदान कर सकें।
ह्वेनसांग की भारत में यात्रा के समय सूती कपड़ों के उत्पादन के लिए सबसे प्रसिद्ध नगर था - मथुरा
- मथुरा उस समय सूती वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध था।
- वाराणसी रेशमी वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध था।
ह्वेनसांग किसके शासनकाल में भारत आया था - सम्राट हर्ष
- इसने भारत यात्रा के ऊपर एक ग्रंथ लिखा जिसे सी-यू-की कहा जाता है।
सम्राट हर्षवर्धन ने दो महान धार्मिक सम्मेलनों का आयोजन किया था - कन्नौज तथा प्रयाग में
- अन्य धर्मो से महायान की उत्कृष्टता सिद्ध करने के लिए हर्ष ने कन्नौज में विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों के आचार्यों की एक विशाल सभा बुलायी।
- चीनी साक्ष्यों के अनुसार इस सभा में 20 देशों के राजा अपने देशों के प्रसिद्ध ब्राह्मणों,श्रमणों, सैनिकों, राजपुरुषों को भेजा।
- इस सभा की अध्यक्षता ह्वेनसांग ने की।
- हर्ष के समय हर पांचवें वर्ष प्रयाग के संगम क्षेत्र में एक समारोह का आयोजन किया जाता था, जिसे महामोक्ष परिषद कहा गया है।
- ह्वेनसांग छठे समारोह में उपस्थित था, इसमें 18 देशों के राजा सम्मिलित हुए थे।
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