पूर्व मध्यकाल (800 - 1200 ई.) राजपूत वंश
कौन शासक पृथ्वीराज चौहान के नाम से प्रसिद्ध है - पृथ्वीराज तृतीय
- अजमेर का शासक पृथ्वीराज तृतीय (1177 - 1192 ई.) ही पृथ्वीराज चौहान के नाम से प्रसिद्ध है।
- जिसने 1191 ई. में तराइन के प्रथम युद्ध में मोहम्मद गोरी को पराजित किया था लेकिन 1192 ई. में तराइन के द्वितीय युद्ध में उसकी पराजय हुई थी।
ताम्रपत्र के लेख दर्शाते हैं कि प्राचीन काल में बिहार के राजाओं का संपर्क था - जावा सुमात्रा से
- पालवंशी शासक देवपाल बौद्ध मतानुयायी था।
- लेखों में उसे परम सौगत कहा गया है।
- उसने जावा के शैलेंद्रवंशी शासक बालपुत्रदेव के अनुरोध पर उसे नालंदा में एक बौद्ध बिहार बनवाने के लिए पांच गांव दान में दिए थे।
गोविंदचंद्र गहड़वाल की एक रानी कुमारदेवी ने धर्मचक्र-जिन विहार कहां बनवाया था - सारनाथ
पृथ्वीराज रासो के लेखक कौन थे - चंदबरदाई
- चौहानवंशी शासक पृथ्वीराज तृतीय के दरबारी कवि चंदवरदाई ने पृथ्वीराज रासो की रचना की।
- इसमें चौहानों को अग्निकुण्ड से उत्पन्न बताया गया है।
पृथ्वीराज विजय का लेखक कौन है - जयानक
- पृथ्वीराज विजय के लेखक जयानक है।
- पृथ्वीराज रासो के लेखक चंदबरदाई है।
- हमीर रासो के लेखक सांरगदेव है।
- जगनिक कृत परमाल रासो के आल्हाखंड से प्राप्त होता है।
किस राजपूत वंश ने आठवीं शताब्दी में, दिलिका (देहली) शहर की स्थापना की थी - तोमर वंश
- आठवीं शताब्दी में दिलिका (देहली) शहर की स्थापना तोमर वंश के अनंगपाल ने की।
- चंदबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर वंश के राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है।
- बाद में चौहान शासकों ने दिल्ली को अपने अधिकार में ले लिया।
जेजाकभुक्ति प्राचीन नाम था - बुंदेलखंड का
- जेजाकभुक्ति बुंदेलखंड का प्राचीन नाम था।
- चंदेल वंश के संस्थापक नन्नुक के पौत्र जय सिंह या जेजा के नाम पर यह प्रदेश जेजाभुक्ति कहलाया।
पुंड्रवर्धन भुक्ति अवस्थिति थी - उत्तर बंगाल में
- प्राचीन काल में पुंड्रवर्धन भुक्ति उत्तर बंगाल के क्षेत्र में अवस्थित थी।
- पाल चंद्र एवं सेन राजवंशों के युग में इसके क्षेत्राधिकार का विस्तार उत्तर बंगाल के बाहर भी था।
विक्रमशिला नामक प्राचीन विश्वविद्यालय की स्थापना बंगाल के किस शासक ने की - धर्मपाल
- विक्रमशिला के प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना बंगाल के पाल वंशीय शासक धर्मपाल (783 - 820 ई.) द्वारा की गई थी।
- नालंदा विश्वविद्यालय के पतन के बाद यह बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र के रुप में विकसित हुआ।
- यह बिहार राज्य के भागलपुर में स्थित है।
- 1203 ई. में बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया।
राष्ट्रकूट साम्राज्य की नींव किसने रखी - दंतिदुर्ग
- राष्ट्रकूट वंश की स्थापना 736 ई. में दंतिदुर्ग ने की।
- उसने मान्यखेत को अपनी राजधानी बनायी।
- दंतिदुर्ग के बारे में कहा जाता है - कि उज्जयिनि में उसने हिरण्यगर्भ (महादान) यज्ञ करवाया था।
कौन अपने पिता के अभियानों के क्रम सैनिक छावनी में पैदा हुआ था - अमोघवर्ष राष्ट्रकूट
- राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष प्रथम का जन्म 800 ई. में नर्मदा नदी के किनारे श्रीभावन नामक स्थान पर सैनिक छावनी में हुआ था।
- इस समय इसके पिता राष्ट्रकूट राजा गोविंद तृतीय उत्तर भारत के सफल अभियानों के बाद वापस लौट रहे थे।
महानत्तम प्रतिहार राजा था - मिहिरभोज
- प्रतिहार वंश का महानत्तम शासक मिहिरभोज था।
- इसका शासनकाल 836 - 885 ई. था।
महान जैन विद्वान हेमचन्द्र किसकी सभा को अलंकृत करते थे - कुमारपाल
- महान जैन विद्वान हेमचन्द्र (1189 - 1172 ई.) ने सोलंकी वंश के जयसिंह सिद्धराज के समय में प्रमुखता प्राप्त की थी और वे उसके उत्तराधिकारी कुमारपाल (1143 - 1173) के सलाहकार के रुप में उसकी सभा अलंकृत करते थे।
लक्ष्मण संवत् का प्रारंभ किस वंश द्वारा किया गया था - सेनों द्वारा
- लक्ष्मण सेन (1178 - 1206) सेन वंश के चौथे शासक थे। इन्होंने 28 वर्षो तक शासन किया।
- इनके द्वारा एक नए संवत् लक्ष्मण संवत् का प्रारंभ किया गया।
महान संस्कृत कवि एवं नाटककार राजशेखर किसके दरबार से संबंधित थे - महेन्द्रपाल प्रथम
- राजशेखर गुर्जर - प्रतिहार शासक महेंद्रपाल प्रथम एवं उसके पुत्र महीपाल के दरबार में रहते थे।
- इन्होंने कर्पूर मंजरी, काव्यमीमांसा, बिद्धशालभंजिका, बालरामायण, भुवनकोश, हरविलास जैसे ग्रंथों की रचना की।
गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना की थी - नागभट्ट प्रथमनागभट्ट प्रथम
- गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक नागभट्ट को माना जाता है लेकिन वास्तविक संस्थापक वत्सराज था।
- प्रतिहार वंश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक मिहिरभोज था।
- प्रतिहारों की राजधानी कन्नौज (महोदया श्री) थी।
- गुर्जर जाति का प्रथम उल्लेख पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल लेख में हुआ है।
- बाणभट्ट के हर्षचरित में भी गुर्जरों का उल्लेख मिलता है।
- गुर्जर - प्रतिहार वंश का संस्थापक नागभट्ट प्रथम (730 - 756) था।
- नागभट्ट ने अरबों के आक्रमण से पश्चिम भारत की रक्षा भी की थी।
राजवंश जो कन्नौज पर अधिपत्य स्थापित करने में त्रिकोणीय संघर्ष में उलझे हुए थे, वह थे - पाल, राष्ट्रकूट, गुर्जर - प्रतिहार
- हर्ष की मृत्यु के बाद कन्नौज विभिन्न शक्तियों के आकर्षण का केंद्र बन गया।
- इस पर अधिकार करने के लिए आठवीं सदी की तीन बड़ी शक्तियों - पाल, राष्ट्रकूट, गुर्जर-प्रतिहार के बीच त्रिकोणीय संघर्ष प्रारंभ हो गया।
- इस संघर्ष में अंततः गुर्जर प्रतिहार को सफलता मिलि।
किसे नगर महोदया श्री के नाम से जाना जाता था - कन्नौज
किसने खंभात में तोड़ी गई मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिये आर्थिक सहायता प्रदान की थी - जयसिंह सिद्धाराज
- गुजरात का चालुक्य शासक जयसिंह सिद्धराज एक धर्म सहिष्णु शासक था।
- मुस्लिम लेखक मुहम्मद औफी का कहना है कि खंभात में कुछ मस्जिदों हेतु उसने एक लाख बालोम (मुद्राएं) दान में दी थी।
राजा भोज ने शासन किया - धार पर
- राजा भोज परमार शासक था, परमारों का पहले शासन केंद्र उज्जैन था तत्पश्चात राजधानी धारा में स्थानांतरित कर दी गई।
- राजा भोज ने धारा से शासन किया।
भोजशाला मंदिर की अधिष्ठात्री देवी है - भगवती सरस्वती
- भोजशाला मंदिर मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित है।
- यहाँ पर भगवती सरस्वती देवी अधिष्ठात्री (स्थापित) हैं।
- भोजशाला का निर्माण परमार शासक राजा भोज ने 1035 ई. में संस्कृत पाठशाला के रुप में करवाया था।
- अब भोजशाला कमाल मौला मस्जिद परिसर में स्थित है।
गौडवहो के रचयिता थे - वाक्पति
- गौडवहो कन्नौज के राजा यशोवर्मन के राजाश्रित कवि वाक्पति की रचना है।
मध्यकालीन भारत के आर्थिक इतिहास के संदर्भ में शब्द अरघट्टा किसे निरुपित करता है - वाटर ह्वील
- मध्यकाल में अरघट्टा भूमि की सिंचाई के लिए प्रयुक्त जलचक्र (वाटर ह्वील) था।
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