दक्षिण भारत (चोल, चालुक्य एवं पल्लव)
नवीं शताब्दी ई. में किसके द्वारा चोल साम्राज्य की नींव डाली गई - विजयालय R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016
- चोल साम्राज्य की स्थापना विजयालय ने की, जो आरंभ में पल्लवों का एक सामंती सरदार था।
- उसने 850 ई. में तंजौर को अपने अधिकार में कर लिया।
- विजयालय ने लगभग 871 ई. तक राज्य किया।
किस मंदिर परिसर में एक भारी - भरकम नंदी की मूर्ति है जिसे भारत की विशालतम नंदी मूर्ति माना जाता है - वृहदीश्वर मंदिर U.P.P.C.S. (Pre) 1999
- चोल स्थापत्य तंजौर के शैव मंदिर, जो राजराजेश्वर या वृहदीश्वर नाम से प्रसिद्ध हैं, का निर्माण राजराज प्रथम के काल में हुआ था।
- यह मंदिर द्रविड़ शैली में बना है।
- इस मंदिर के बाहर नंदी की एकाश्म विशाल मूर्ति बनी है जिसे भारत की विशालत्तम नंदी मूर्ति माना जाता है।
चोल युग प्रसिद्ध था - ग्रामीण सभाओं R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993
- चोलों के अधीन ग्राम प्रशासन में ग्राम सभा की कार्यकारिणी समितियों की कार्यप्रणाली का विस्तृत विवरण हम उत्तर मेरुर शिलालेंखों के माध्यम से प्राप्त करते है।
- प्रत्येक ग्राम में अपनी सभा होती थी, जो प्रायः केन्द्रीय नियंत्रण से मुक्त होकर स्वतंत्र रुप से ग्राम प्रशासन का संचालन करती थी।
चोल शासकों के शासनकाल में कौन सा वारियम उद्यान प्रशासन का कार्य देखता था - टोट्ट वारियम U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013
- उद्यान प्रशासन का कार्य - टोट्ट वारियम्
- वार्षिक समिति का कार्य - सम्वत्सर वारियम्
- तालाब समिति का कार्य - एरि वारियम्
- स्वर्ण समिति का कार्य - पोन वारियम्
72 व्यापारी, चीन में किसके कार्यकाल में भेजे गए थे - कुलोत्तुंग प्रथम U.P.P.C.S. (Pre) 1992
- चोल शासक कुलोत्तुंग प्रथम के शासनकाल में 1077 ई. में - 72 सौदागरों का एक चोल दूत मंडल चीन भेजा गया था।
नटराज की प्रसिद्ध कांस्य मूर्ति किस कला का उदाहरण है - चोल कला का U.P.P.C.S. (Pre) 2006
- चोल कलाकारों ने तक्षण कला में भी सफलता प्राप्त की है।
- उन्होंने पत्थर तथा धातु की बहुसंख्यक मूर्तियों का निर्माण किया।
- पाषाण मूर्तियों से भी अधिक कांस्य मूर्तियों का निर्माण हुआ है।
- सर्वाधिक सुंदर मूर्तियां नटराज (शिव) की है, जो बड़ी संख्या में मिली है।
- ये मूर्तियां प्रायः चतुर्भुज है।
शिव की दक्षिणामूर्ति प्रतिमा उन्हें किस रुप में प्रदर्शित करती है - शिक्षक U.P.P.C.S. (Pre) 2013
- शिव की दक्षिणामूर्ति प्रतिमा उन्हें गुरु (शिक्षक) के रुप में प्रदर्शित करती है।
- इस रुप में शिव अपने भक्तों को सभी प्रकार का ज्ञान प्रदान करते हुए माने गए है।
- इस रुप में शिव की दक्षिण दिशा में मुख किए हुए प्रतिमा स्थापित की गई है।
दक्षिण भारत का कौन सा राजवंश अपनी नौसैनिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध था - चोल R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993/U.P.P.C.S. (Pre) 1992/U.P.P.C.S. (Pre) 2004
- चोल राजाओं ने एक विशाल संगठित सेना का निर्माण किया था।
- चोल सेना में कुल सैनिकों की संख्या लगभग एक लाख पचास हजार थी।
- चोलों के पास अश्व, गज एवं पैदल सैनिकों के साथ ही साथ एक अत्यंत शक्तिशाली नौसेना भी थी।
- इसी नौसेना की सहायता से उन्होंने श्रीविजय, सिंहल, मालदीव, आदि द्वीपों की विजय की थी।
राजवंशों में से किसके शासक अपने शासनकाल में ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर देते थे - चोल U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001
- चोल काल के सम्राट प्रायः अपने जीवन काल में ही युवराज का चुनाव कर लेते थे।
- जो उसके बाद उसका उत्तराधिकारी बनता था।
चोल शासक का नाम बताइये जिसने श्रीलंका के उत्तरी भाग पर विजय प्राप्त की - राजराज प्रथम U.P.P.C.S. (Mains) 2014
- चोल शासक राजराज प्रथम ने सिंहल (श्रीलंका) पर आक्रमण करके उत्तरी सिंहल को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया।
- विजित क्षेत्र में राजराज ने अनुराधापुर को नष्ट कर पोलोन्नरुवा को इस क्षेत्र की राजधानी बनाया और इसका नाम जननाथ मंगलम रखा।
चोल शासकों में जिसने बंगाल की खाड़ी को चोल झील का स्वरुप प्रदान कर दिया, वह कौन था - राजेंद्र प्रथम U.P.P.C.S. (Spl) (Pre) 2008
- राजराज प्रथम की मृत्यु के बाद उसका योग्यतम पुत्र राजेंद्र प्रथम सम्राट बना।
- उसने अपने पिता की साम्राज्यवादी नीति को आगे बढ़ाया।
- राजेंद्र प्रथम ने बंगाल की खाड़ी को चोल झील का स्वरुप प्रदान कर दिया था।
- 1017 ई. में उसने संपूर्ण सिंहल द्वीप को जीत लिया तथा वह सिंहल राजा महेन्द्र पंचम को बंदी बनाकर चोल राज्य में लाया।
- उसने पवित्र गंगा जल लाने के उद्देश्य से उत्तर - पूर्वी भारत (गंगा घाटी) पर आक्रमण किया तथा पाल शासक महीपाल को पराजित किया।
- इस विजय के उपलक्ष्य में उसने गंगैकोंड की उपाधि ग्रहण की तथा गंगैकोंडचोलपुरम नामक नई राजधानी की स्थापना की।
- नवीन राजधानी के निकट ही उसने सिंचाई के लिए चोलगंगम नामक विशाल तालाब का भी निर्माण कराया।
चालुक्य वंश का सबसे महान शासक कौन था - पुलकेशिन द्वितीय U.P.P.C.S. (Pre) 1991
- पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य वंश के शासकों में सर्वाधिक योग्य तथा शक्तिशाली था।
- उसने 609 ई. से 642 ई. तक शासन किया।
- उसकी उपलब्धियों का विवरण हमें ऐहोल अभिलेख से प्राप्त होता है।
चालुक्यों की राजधानी कहाँ थी - वातापी U.P.P.C.S. (Pre) 1999
- बीजापुर (कर्नाटक) जिले के वातापी नामक प्राचीन नगर का आधुनिक नाम बादामी है।
- छठीं - सातवीं शताब्दी में यह चालुक्यों की राजधानी थी।
- वातापी के चालुक्य राजवंश का वास्तविक संस्थापक पुलकेशिन प्रथम था।
कवि कालिदास के नाम का उल्लेख किसमें हुआ है - ऐहोल के उत्कीर्ण लेख में I.A.S. (Pre) 1994
- ऐहोल प्रशस्ति बादामी के शासक पुलकेशिन द्वितीय के इतिहास को जानने का एक सशक्त माध्यम है।
- इस अभिलेख में कालिदास के नाम का उल्लेख हुआ है।
प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में प्राप्त यवनप्रिय शब्द द्योतक था - काली मिर्च का I.A.S. (Pre) 1995
- भारतीय काली मिर्च यूनानियों एवं रोमवासियों को बहुत प्रिय थी इसलिए प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में इसे यवनप्रिय कहा गया है।
- इसकी यूनान एवं रोम में बहुत अधिक मांग थी।
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