गांधी एवं उनके प्रारंभिक आंदोलन
करमचंद गांधी का उपनाम था - काबा गांधी U.P.P.C.S. (Pre) 2001
- करमचंद गांधी, गांधीजी के पिता थे इनका उपमान कबा गांधी था।
- करमचंद गांधी पोरबंदर, राजकोट, बीकानेर इन सभी जगहों के दीवान थे।
दक्षिण अफ्रीका में रहने की अवधि में महात्मा गांधी ने जिस पत्रिका का प्रकाशन किया, उसका नाम था - इंडियन ओपिनियन U.P.P.C.S. (Pre) 2000
- गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में 1894 में नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की और दक्षिण अफ्रीका के लंबे आंदोलन के दौरान कई बार जेल की यात्रा की।
- अपने सहयोगियों की सहायता से उन्होंने, टालस्टाय फॉर्म की स्थापना की और वहीं रहने लगे।
- दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने, इंडियन ओपिनियन नामक अखबार निकाला (यह गुजराती, हिन्दी, तमिल और अंग्रेजी में प्रकाशित होता था) तथा 1904 में डरबन में फीनिक्स फॉर्म की स्थापना की।
फीनिक्स फॉर्म कहां है - डरबन (द.अफ्रीका) M.P.P.C.S. (Pre) 1999
गांधीजी के रामराज्य के युगल सिद्धांत कौन थे - सत्य तथा अहिंसा U.P.P.C.S. (Pre) 1993
- सत्य तथा अहिंसा गांधीजी के रामराज्य के युगल सिद्धांत थे।
- उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने स्वप्नों के नवीन समाज का आधार बनाया था।
- कुछ लोगों का विश्वास है कि गांधीजी की सत्यप्रियता हिंदू धर्म से तथा अहिंसा बौद्ध, जैन और ईसाई मत से प्रभावित थी।
गांधीजी की दृष्टि में अहिंसा का अर्थ है - सत्य की प्राप्ति का रास्ता U.P.P.C.S. (Pre) 1994
- महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को अपने सपनों के नवीन समाज का आधार बनाया।
- गांधीजी कहा करते थे, कि सत्य और अहिंसा को निरपेक्ष रुप से अंगीकार करना आवश्यक है।
- अहिंसा मेरे धर्म का सिद्धांत है, वही मेरे कर्म का अंतिम सिद्धांत है।
- सत्याग्रही का अनिवार्य कर्तव्य है कि वह अहिंसा द्वारा सत्य का साक्षात्कार करने का प्रयत्न करे।
गांधीजी के अनुसार हिंसा का क्रूरतम रुप है - गरीबी का स्थायित्व U.P. Lower Sub. (Mains) 2015
- गांधीजी के अनुसार, आर्थिक समानता अहिंसक स्वतंत्रता की असली चाबी है।
- शासन की अहिंसक प्रणाली कायम करना तब तक संभव नहीं है जब तक अमीरों और करोड़ों भूखे लोगों के बीच खाई बनी रहेगी।
- गांधीजी ने कहा था कि गरीबी का स्थायित्व हिंसा का क्रूरतम रुप है।
गांधीजी की सत्याग्रह में से किसे सबसे अंतिम स्थान प्राप्त है - हड़ताल U.P. Lower Sub. (Mains) 2013
- गांधीजी की सत्याग्रह रणनीति में हड़ताल को सबसे अंतिम स्थान प्राप्त था जब कि उपवास को गांधीजी सबसे अधिक प्रभावकारी अस्त्र मानते थे और इसे उन्होंने अग्नि - बाण कहा है।
गांधीजी ने परिवार नियोजन हेतु क्या तरीका बताया - आत्मनियंत्रण M.P.P.C.S. (Pre) 1990
- गांधीजी ने परिवार नियोजन हेतु सर्वोत्तम उपाय आत्ननियंत्रण (Self Control) बताया था।
महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत किस वर्ष में लौटें - 1915 M.P.P.C.S. (Pre) 1997
- महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से 9 जनवरी, 1915 में भारत लौटे।
- जनता ने बड़ी गर्मजोशी से उनका स्वागत किया।
- दक्षिण अफ्रीका के उनके संघर्षो और उनकी सफलताओं ने उन्हें भारत में बहुत लोकप्रिय बना दिया था।
- भारत आने पर उनका संपर्क गोपाल कृष्ण गोखले से हुआ जिन्हें गांधीजी ने अपना राजनीतिक गुरु बनाया।
- उनके प्रभाव में आकर उन्होंने अपने को भारत की सक्रिय राजनीति से जोड़ा।
गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में कितने वर्ष रहे थे - 21 वर्ष M.P.P.C.S. (Pre) 2010
- गांधीजी अफ्रीका में लगभग 21 वर्ष रहे थे।
- गांधीजी 24 वर्ष की उम्र में 1893 में एक गुजराती व्यापारी दादा अब्दुला का मुकदमा लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका (डरबन) गए थे।
- वे जनवरी, 1915 में भारत लौटें।
दक्षिण अफ्रीका के किस रेलवे स्टेशन पर गांधी को ट्रेन से फेंका गया था - पीटरमारित्सबर्ग U.P.P.C.S. (Mains) 2015
- दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान महात्मा गांधी को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा था।
- एक बार ट्रेन में प्रथम श्रेणी का पास होते हुए भी उन्हें सामान्य बोगी में स्थानांतरित किया गया जिसका उन्होंने प्रतिरोध किया जिसके फलस्वरुप उन्हें पीटरमारित्सबर्ग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से फेंका गया था।
एम.के. गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशनों में से किस एक में सर्वप्रथम भाग लिया था - कलकत्ता अधिवेशन, 1901 U.P.P.C.S. (Mains) 2003/U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004
- महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम 1901 में आयोजित कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भाग लिया था।
- इस अधिवेशन में गांधीजी का दक्षिण अफ्रीका पर प्रस्ताव भी पारित हुआ था।
- इस अधिवेशन की अध्यक्षता दिनशा वाचा ने की थी।
- ध्यातव्य है कि गांधीजी अपने दक्षिण अफ्रीका प्रवास के बीच में 1901 में भारत आए थे और इस दौरान उन्होंने बंबई में अपने विधि कार्यालय की भी स्थापना की थी।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम नगर के बाहर स्थित है - अहमदाबाद P.C.S. (Pre) 2005
- महात्मा गांधी ने 1915 ई. में अहमदाबाद के कोचरब क्षेत्र में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की गई थी।
- यह आश्रम विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के संचालन की सुविधा की दृष्टि से 17 जून, 1917 को साबरमती नदी के किनारे स्थानांतरित कर दिया गया।
महात्मा गांधी से संबद्ध आश्रमों में कौन सबसे पुराना है - फीनिक्स .P.C.S. (Pre) 2012
- महात्मा गांधी ने फीनिक्स (डरबन, दक्षिण अफ्रीका) में 1904 में एक आश्रम स्थापित किया।
- फीनिक्स आश्रम को 27 फरवरी, 2000 को दोबारा खोला गया है।
- फीनिक्स महात्मा गांधी द्वारा स्थापित प्रथम आश्रम था।
गांधीजी ने सेवाधर्म कहां अपनाया था - दक्षिण अफ्रीका U.P. Lower Sub. (Mains) 2015
- दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने एक पारसी रुस्तम जी द्वारा खोले गए धर्मार्थ अस्पताल में परिचारक के रुप में अपनी सेवाएं प्रदान की एवं बीमार दुखियों की सेवा का कार्य आरंभ किया।
- यहां पर उन्होंने कंपाउंडर के रुप में भी स्वैच्छिक सेवाएं प्रदान की।
- उन्होंने बोअर युद्ध के समय घायल सिपाहियों की देखभाल एवं सेवा कार्य भी किया था।
महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु कौन थे - गोपाल कृष्ण गोखले U.P.P.C.S. (Pre) 1991
- गोखले अपने राजनैतिक दर्शन में सच्चे उदारवादी थे।
- वह समभाव और मृदु न्यायप्रियता में विश्वास करते थे।
- उन्हें पूर्ण विश्वास था कि देश का पुनरुद्वार राजनैतिक उत्तेजना के बवंडरों में नहीं हो सकता।
- वह साध्य और साधन दोनों की पवित्रता में विश्वास करते थे।
- गोखले के इन्हीं विचारों से प्रभावित होकर गांधी जी ने उन्हें अपना राजनीतिक गुरु बना लिया।
महात्मा गांधी के अनुसार राजनीति का तात्पर्य था - जनकल्याण के लिए सक्रियता U.P. Lower Sub. (Mains) 2013
- महात्मा गांधी राजनीति को सामाजिक उत्थान और जनकल्याण के लिए सक्रियता समझते थे।
- इसके संबंध में गांधीजी के द्वारा सर्वाधिक महत्वपूर्ण सुझाव राजनीति के क्षेत्र में सत्ता के विकेंद्रीकरण का दिया गया है।
- विकेंद्रीकृत सत्ता से उनका तात्पर्य था ग्राम पंचायतों को अपने गांवों का प्रबंध और प्रशासन करने के लिए सक्रिय करना।
गांधीजी ने राजनीति का जो प्रतिमान प्रस्तुत किया है - नैतिकता, धर्म, मानवता U.P. Lower Sub. (Mains) 2013
- गांधी ने राजनीति का जो प्रतिमान प्रस्तुत किया है उसमें नैतिकता, धर्म और मानवता का समावेश था।
- वे राज्य विहीन समाज की स्थापना करना चाहते थे।
किसने कहा था - विदेशी वस्त्रों की बर्बादी ही उनके साथ सर्वोत्तम व्यवहार है - महात्मा गांधी U.P.P.C.S. (Pre) 2010
- महात्मा गांधी ने विदेशी वस्त्रों को नष्ट करने का राष्ट्र को आत्मसम्मान से जोड़ते हुए कहा था कि विदेशी वस्त्रों की बर्बादी ही उनके साथ सर्वोत्तम व्यवहार है।
किसने सत्याग्रह शब्द को गढ़ा - महात्मा गांधी U.P.P.C.S. (Mains) 2015
- महात्मा गांधी के भतीजे मगन लाल गांधी द्वारा सदाग्रह शब्द का प्रयोग एक प्रतियोगिता में किया गया जिसमें उनको पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- सदाग्रह शब्द का अर्थ - सत्य और दृढ़ता से लिया जाता है।
- बाद में महात्मा गांधी ने इसमें सुधार कर इसे सत्याग्रह शब्द में परिवर्तित किया।
- सर्वप्रथम सत्याग्रह शब्द का प्रयोग महात्मा गांधी द्वारा किया गया था।
महात्मा गांधी ने कहा था कि उनकी कुछ सबसे गहन धारणाएं अनटू दिस लास्ट नामक पुस्तक में प्रतिबिंबित होती है और इस पुस्तक ने उनके जीवन को बदल डाला। इस पुस्तक का वह संदेश क्या था जिसने महात्मा गांधी को बदल डाला - व्यक्ति का कल्याण सब के कल्याण में निहित है I.A.S. (Pre) 2011
- महात्मा गांधी ने अपने दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान जॉन रस्किन (John Ruskin) की पुस्तक "Unto this Last" पढ़ी थी।
- गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि इस पुस्तक ने उनके जीवन को परिवर्तित कर दिया।
- गांधीजी के अनुसार इस पुस्तक का वह संदेश था - व्यक्ति का कल्याण सबके कल्याण में निहित है "(The good of the individual is contained in the good of all)।"
- इसी के आधार पर गांधीजी ने सर्वोदय (The Wellfare of all) की अवधारणा का प्रतिपादन किया था।
गांधी के नाम के पहले महात्मा जोड़ा गया - चंपारन सत्याग्रह के दौरान U.P.P.C.S. (Pre) 2001/U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002
- गांधीजी द्वारा चंपारन सत्याग्रह का सफल नेतृत्व करने के कारण रबींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार उन्हें महात्मा कहा।
महात्मा गांधी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता किसने कहा था - सुभाष चंद्र बोस I.A.S. (Pre) 1993/U.D.A./L.D.A. (Mains) 2007/U.P.P.C.S. (Pre) 2008 /U.P.P.C.S. (GIC) 2010
- महात्मा गांधी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने कहा था।
- 6 जुलाई, 1944 को सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद रेडियों पर बोलते हुए गांधीजी को संबोधित किया - भारत की स्वाधीनता का आखिरी युद्ध शुरु हो चुका है।
- राष्ट्रपिता ! भारत की मुक्ति के इस पवित्र युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएं चाहते है।
नोआखाली काल में महात्मा गांधी के सचिव कौन थे - प्यारे लाल B.P.S.C. (Pre) 1996
- नोआखाली काल में प्यारे लाल महात्मा गांधी के सचिव थे।
- उनकी बहन डॉ. सुशीला नैयर गांधी जी की व्यक्तिगत चिकित्सक थीं।
- प्यारे लाल ने गांधीजी के दांडी मार्च में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
गांधी के अनुयायियों में से कौन पेशे से एक शिक्षक था - राजेंद्र प्रसाद I.A.S. (Pre) 2008
- गांधीजी के अनुयायियों में से राजेंद्र प्रसाद पेशे से एक शिक्षक थे।
- इन्होंने मुजफ्फरपुर के भूमिहार - ब्राह्मण कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के रुप में तथा आगे चलकर प्रधानाचार्य के रुप में कार्य किया था।
- उन्होंने कलकत्ता में कानून की पढ़ाई के दौरान कलकत्ता सिटी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रुप में भी कार्य किया था।
भारतीय कपड़ा व्यापारी, बैंकर, कांग्रेसी तथा महात्मा गांधी का निकट सहयोगी है, यह उपयुक्त विवरण है - जमनालाल बजाज का I.A.S. (Pre) 1993
- जमनालाल बजाज कपड़ा व्यापारी, बैंकर, कांग्रेसी सामाजिक कार्यकर्ता और महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे।
- जमनालाल बजाज का जन्म 1889 ई. में जयपुर में हुआ था, इन्हें वर्धा के एक धनवान व्यापारी ने गोद लिया था।
- वे 1915 ई. में गांधीजी के संपर्क में आए तथा जीवन भर उनके अनुयायी रहे।
- 30 वर्ष की अवस्था में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भाग लिया।
- भारत के प्रति ब्रिटिश सरकार की नीति के विरोध में उन्होंने राय बहादुर की उपाधि त्याग दी।
- आप कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे तथा गांधी सेवा संघ के संस्थापक थे।
- ग्रामीण उद्योगों तथा हथकरघा वस्त्र के विकास में इनकी गहन रुचि थी।
- कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में स्वागत समिति के अध्यक्ष के रुप में इन्होंने बहुमूल्य कार्य किया।
भारत की स्वाधीनता के समय महात्मा गांधी - कांग्रेस के सदस्य नहीं थे I.A.S. (Pre) 1993
- भारत की स्वाधीनता के समय गांधीजी कांग्रेस के सदस्य नहीं थे।
- 1934 में गांधीजी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था तथा वे फिर कांग्रेस के औपचारिक रुप से सदस्य नहीं बने तथापि राजनीतिक परिदृश्यों पर उनका शक्तिशाली मार्गदर्शी प्रभाव छाया रहा।
स्वाधीनता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के करीबी अंग्रेज मित्र थे - रेवरेंड चार्ली एन्ड्रूज B.P.S.C. (Pre) 2004
- चार्ल्स एन्ड्रूज (दीनबंधु एन्ड्रूज) सेंट स्टीफेन कॉलेज, दिल्ली में प्राध्यापक थे।
- भारतीयों से इनका गहरा लगाव था और वे हर तरह से भारतीय बनना चाहते थे।
- रबींद्रनाथ टैगोर, गोपाल कृष्ण गोखले तथा महात्मा गांधी से इनके घनिष्ठ संबंध थे।
- ये दक्षिण अफ्रीका के फीनिक्स फार्म में गांधीजी के साथ रहे थे।
- गांधीजी ने ही गरीबों के प्रति इनकी निरंतर चिंता को देखते हुए उन्हें दीनबंधु की उपाधि से सम्मानित किया था।
- एन्ड्रूज 1925 और 1927 में आल इंडिया ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष भी रहे।
- गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए वे गांधीजी के साथ एक सहयोगी के रुप में लंदन गए थे।
किस कारागार को गांधीजी ने मंदिर का नाम दिया था - यरवदा U.P. Lower Sub. (Mains) 2015
- यरावदा कारागार (महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित) में गांधीजी को वर्ष 1930 में बंदी के रुप में भेजा गया था।
- यहां से गांधीजी साबरमती के आश्रमवासियों को प्रत्येक सप्ताह पत्र के रुप में अपने संदेश भेजा करते थे।
- यरवदा जेल में गांधीजी ने अपने अनुभवों एवं आध्यत्मिक प्रगति की समीक्षा करते हुए यरवदा कारागार को मंदिर की संज्ञा दी है।
कौन कहा करते थे - गलत साधन हमें कभी भी सही उद्देश्य तक नहीं ले जाते है - महात्मा गांधी U.P.P.C.S. (Mains) 2015
गांधी जी की मृत्यु पर किसने कहा था हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है - जवाहर लाल नेहरु M.P.P.C.S. (Pre) 1995
- 30 जनवरी, 1948 को एक हिंदू कट्टरपंथी नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी।
- उनकी मृत्यु पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु ने कहा था - हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है, हमारे चतुर्दिक अंधकार ही अंधकार है, मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि आपसे क्या कहूं और कैसे कहूं ? राष्ट्रपिता जिन्हें हम प्यार से बापू कहते थे, हमारे बीच नहीं रहे....!
गांधीजी को वन मैन बाऊंड्री फोर्स कहकर किसने संबोधित किया - माउण्टबेटन ने U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015
- माउण्टबेटन ने गांधीजी को वन मैन बाऊंड्री फोर्स की उपाधि प्रदान की थी तथा कहा जो काम 50 हजार हथियार बंद सिपाही नहीं कर सकते थे वह काम गांधीजी ने कर दिखाया।
भारतीय राजनीति में प्रवेश के पूर्व एक वर्ष तक देश में पर्यवेक्षक एवं विद्यार्थी के रुप में रहने की सलाह गांधीजी को किसने दी थी - गोपाल कृष्ण गोखले
- महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
- 1915 में अफ्रीका से भारत वापस आने के पश्चात गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हें एक वर्ष तक भारत का भ्रमण करके देश की वास्तविक स्थिति से अवगत होने की सलाह दी।
महात्मा गांधी ने भारत में अपना पहला जनभाषण कहां दिया था - वाराणसी में U.P. Lower Sub. (Mains) 2015
- महात्मा गांधी ने भारत में अपना पहला जनभाषण फरवरी, 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह के अवसर पर दिया था।
किसने महात्मा गांधी को आदेशित किया था कि वह भारत में प्रथम वर्ष खुले कान पर मुंह बंद कर व्यतीत करें - गोपाल कृष्ण गोखले U.P.P.C.S. (Mains) 2014
- महात्मा गांधी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
- गोपाल कृष्ण गोखले ने ही महात्मा गांधी को आदेशित किया था कि वह भारत में प्रथम वर्ष खुले कान के साथ लेकिन मुंह बंद कर व्यतीत करें।
1917 - 18 में अहमदाबाद में गांधीजी द्वारा चलाए गए सत्याग्रह में किसने हिस्सा लिया था - मजदूर B.P.S.C. (Pre) 1994
- चंपारन की सफलता के बाद गांधीजी का अगला प्रयोग 1918 में अहमदाबाद की एक काटन टेक्सटाइल मिल में मिल - मालिकों और मजदूरों के बीच मजदूरी बढ़ाने को लेकर चल रहे विवाद में हस्तक्षेप करना था।
- यह विवाद प्लेग - बोनस को लेकर था।
- प्लेग का प्रकोप खत्म होने के बाद मालिक इसे समाप्त करना चाहते थे जबकि मजदूर इसे बरकरार रखने की मांग कर रहे थे।
- उत्पादन, लागत, मुनाफा और मजदूरों के जीवन - निर्वाह खर्च का गहराई से अध्ययन करने के बाद गांधीजी ने घोषणा की मजदूरों को 35 प्रतिशत बोनस मिलना चाहिए।
- मिल - मालिकों द्वारा गांधीजी के अनशन के बाद गठित ट्रिब्यूनल ने इनकी बात मान ली।
गांधीजी ने बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने का अभियान कहां से आरंभ किया था - चंपारन U.P. Lower Sub. (Mains) 2015
- महात्मा गांधी ने भारत में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत बिहार के चंपारन से की थी।
- चंपारन में किसानों को एक बीघा जमीन के 3/20 वें भाग पर नील की खेती हेतु अंग्रेजों द्वारा बाध्य किया जाता था।
- इसे तिनकठिया पद्धति कहते थे।
- नील की खेती करने से इंकार करने पर अंग्रेज किसानों पर अत्याचार करते थे।
- इसके अतिरिक्त किसानों पर लगभग 40 प्रकार के कर थोपे गए थे।
- बिहार के एक किसान राजकुमार शुक्ल ने गांधीजी से मिलकर अंग्रेजों के अत्याचार से किसानों को मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।
- गांधीजी के कलकत्ता प्रवास के दौरान राजकुमार शुक्ल के साथ गांधीजी अप्रैल, 1917 में चंपारन गए तथा किसानों के अंग्रेजों की बंधुआ मजदूरी से मुक्ति हेतु सत्याग्रह आरंभ किया।
- जुलाई 1917 ई. के चंपारन एग्रेरियन कमेटी का गठन किया गया।
- गांधीजी भी इसके सदस्य थे।
- इस कमेटी के प्रतिवेदन पर तिनकठिया प्रणाली को समाप्त कर दिया गया तथा किसानों से अवैध रुप से वसूले गए धन का 25 प्रतिशत वापस कर दिया गया।
- 1919 ई. में चंपारन एग्रेरियन अधिनियम पारित किया गया, जिससे किसानों की स्थिति में सुधार हुआ।
एम.के. गांधी के अनुसार अस्पृश्यों का सामाजिक - आर्थिक सुधार संपन्न किया जा सकता है - उनके लिए कुटीर उद्योग स्थापित करके U.P. Lower Sub. (Mains) 2013
- गांधीजी की अर्थनीति सभी तरह के शोषण का विरोध करती है चाहे वह शोषण देश के भीतर एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग का हो या बाहर से हो।
- गांधीजी इसको दूर करने के लिए ऐसी प्रणाली कायम करना चाहते थे जिसमें व्यक्ति अपने मौलिक प्रयत्न के द्वारा स्वतंत्र वातावरण में श्रम और कार्य कर सकें, इसके लिए वे स्वदेशी उद्योगों का पुनरुद्वार करना चाहते थे ताकि लोगों को पर्याप्त भोजन मिल सके और वे भूख से पीड़ित न हो।
- इसके लिए गांधीजी ने कुटीर उद्योगों जैसे - गुड़ बनाना, घास कूटना, तेल पेरना, कागज बनाना, चमड़े का काम आदि पर जोर दिया।
- इससे गांधी का मानना था कि गरीबों और शोषितों का आर्थिक और सामाजिक सुधार करने में मदद मिलेगी।
गांधियन इनोवेशन (गांधीजी का नवाचार) का तात्पर्य है - कम निवेश से अधिक उत्पादन अधिक लोगों के लिए U.P. Lower Sub. (Mains) 2015
- गांधियन इनोवेशन (गांधीजी का नवाचार) का तात्पर्य है - कम निवेश से अधिक उत्पादन अधिक लोगों के लिए।
- यह शब्दावली सर्वप्रथम प्रोफेसर प्रहलाद एवं आर.ए.माशेलकर द्वारा प्रयोग किया गया था।
गांधीजी ने भारत में पहली बार सत्याग्रह आंदोलन बिहार में कहां प्रारंभ किया गया - चंपारन B.P.S.C. (Pre) 2008
तीन कठिया कानून किस स्थान पर किसकी खेती से संबंधित है - चंपारन - नील U.P. Lower Sub. (Mains) 2015
- तीन कठिया कानून बिहार के चंपारन तथा नील की खेती से संबंधित है।
- चंपारन के किसानों से अंग्रेजों ने एक अनुबंध करा लिया जिसके तहत उन्हें अपने खेतों के 3/20 वें भाग में नील की खेती करना अनिवार्य था इसे तीन कठिया पद्धति कहते थे।
- वर्ष 1917 में गांधीजी के सत्याग्रह के पश्चात इसको समाप्त कर दिया गया।
चंपारन नील आंदोलन के राष्ट्रीय नेता कौन थे - महात्मा गांधी U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002/U.P.P.C.S. (Pre) 2003
- चंपारन नील आंदोलन के राष्ट्रीय नेता महात्मा गांधी थे।
- 1917 में चंपारन में नील की खेती करने वाले किसानों के प्रति यूरोपियन अधिकारियों के अत्याचारों के विरोध में गांधीजी द्वारा प्रथम सत्याग्रह किया गया।
- इस आंदोलन में गांधीजी के सहयोगी राजेंद्र प्रसाद, बृजकिशोर, महादेव देसाई, नरहरि पारिख तथा जे.बी. कृपलानी आदि थे।
महात्मा गांधी के चंपारन सत्याग्रह का किसने विरोध किया था - एन.जी. रंगा U.P.P.C.S. (Mains) 2012
- एन.जी. रंगा ने महात्मा गांधी के चंपारन सत्याग्रह का विरोध किया था।
- जब कि रबींद्रनाथ टैगोर ने चंपारन सत्याग्रह के दौरान ही इन्हें महात्मा की उपाधि दी थी।
दक्षिण अफ्रीका से लौटने के पश्चात, गांधीजी ने प्रथम सफल सत्याग्रह आरंभ किया - चंपारन में U.P.P.C.S. (Pre) 2011/I.A.S. (Pre) 2000
- दक्षिण अफ्रीका से जनवरी, 1915 में लौटने के बाद गांधीजी ने अपना प्रथम सफल सत्याग्रह बिहार के चंपारन जिले में 1917 में किया।
- 1917 में चंपारन के एक किसान राजकुमार शुक्ल ने गांधीजी से लखनऊ में भेंट की और उन्हें चंपारन आने का आग्रह किया।
- चंपारन का मामला बहुत पुराना था।
- 19 वीं सदी के समाप्त होते - होते जर्मनी के रासायनिक रंगों ने बाजार में नील का स्थान ले लिया।
- फलस्वरुप चंपारन के यूरोपीय बगान मालिक नील की खेती बंद करने के लिए विवश हो गए।
- किसान भी नील की खेती से छुटकारा पाना चाहते थे।
- गोरे बागान मालिकों ने किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें अनुबंध से मुक्त करने के लिए लगान एवं अन्य गैर कानूनी अबवाबों (करों) की दर मनमाने ढ़ग से बढ़ा दी।
- किसानों के इसी उत्पीड़न के विरोध में गांधीजी ने चंपारन सत्याग्रह प्रारंभ किया था।
- बागान मालिक अवैध वसूली का 25 प्रतिशत वापस करने पर राजी हो गए।
खिलाफत आंदोलन
खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता कौन थे - मौलाना मोहम्मद अली और शौकत अली U.P.P.C.S. (Pre) 2016
- खिलाफत आंदोलन भारत में मुख्यतः मुसलमानों द्वारा चलाया गया राजनीतिक - धार्मिक आंदोलन था।
- इस आंदोलन का उद्देश्य तुर्की में खलीफा के पद की पुनः स्थापना कराने के लिए अंग्रेजों पर दबाव बनाना था।
- खिलाफत आंदोलन प्रारंभ करने के लिए गठित खिलाफत कमेटी में शौकत अली, मुहम्मद अली, अबुल कलाम आजाद, हकीम अजमल खान, हसरत मोहानी तथा डॉ. अंसारी शामिल थे।
- इसलिये खिलाफत आंदोलन प्रारंभ करने का श्रेय मुख्यतः अली बंधुओं - शौकत अली एवं मुहम्मद अली को दिया जाता है।
किस एक ने खिलाफत आंदोलन के दौरान हाजिक - उल - मुल्क की पदवी त्याग दी थी - हकीम अजमल खां U.P.P.C.S. (Mains) 2014
- हकीम अजमल खां ने खिलाफत आंदोलन के दौरान हाजिक - उल - मुल्क की पदवी त्याग दी थी।
- यह पदवी ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1908 में उन्हें प्रदान की गई थी।
19 वीं शती के फरायजी आंदोलन के संस्थापक थे - हाजी शरीयतुल्ला U.P. Lower Sub. (Pre) 2008
खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था - 1. भारत के मुसलमानों में ब्रिटिश विरोधी भावना उत्पन्न करना 2. ऑटोमन साम्राज्य की रक्षा और खिलाफत का रक्षण I.A.S. (Pre) 1993
- भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को इस्लामी साम्राज्य का खलीफा मानते थे।
- प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की मित्र देशों के विरुद्ध लड़ रहा था।
- युद्ध के समय ब्रिटिश राजनीतिज्ञों ने भारतीय मुसलमानों को वचन दिया था कि वे तुर्की साम्राज्य को किसी प्रकार समाप्त नहीं होने देंगे, लेकिन युद्ध समाप्त होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने तुर्की साम्राज्य का विघटन कर दिया।
- भारतीय मुसलमान ब्रिटिश साम्राज्य से नफरत करने लगे और उन्होंने तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य की रक्षा और खलीफा को बनाए रखने के लिए आंदोलन प्रारंभ किया।
- तुर्की साम्राज्य के विभाजन के विरुद्ध शुरु हुए खिलाफत आंदोलन ने उस समय अधिक जोर पकड़ लिया जब इसमें गांधी जी सम्मिलित हुए।
वर्ष 1919 में अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन का अध्यक्ष किसे चुना गया - महात्मा गांधी U.P.P.C.S. (Pre) 1993
- अंग्रेजों द्वारा साम्राज्य का विभाजन करने के विरुद्ध खिलाफत आंदोलन प्रारंभ हुआ।
- दिल्ली में 23 नवबंर, 1919 को होने वाले खिलाफत कमेटी के सम्मेलन की अध्यक्षता महात्मा गांधी को प्रदान की गई।
- दिसंबर, 1919 में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन से खिलाफत आंदोलन को और अधिक बढ़ावा मिला।
- गांधीजी ने इसे हिंदू - मुस्लिम एकता के एक ऐसे स्वर्णिम अवसर के रुप में देखा जो आगे सौ वर्षों में भी नहीं प्राप्त हो सकता।
- गांधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ अपने आंदोलन में भारतीय मुसलमानों का सहयोग प्राप्त करना चाहा था।
गांधीजी को किसने सावधान किया था कि मुस्लिम धार्मिक नेताओं और उनके अनुयायियों के कट्टरपन को प्रोत्साहित न करें - मुहम्मद अली जिन्ना U.P.P.C.S. (Pre) 2002/U.P.P.C.S. (GIC) 2010
- मुहम्मद अली जिन्ना खिलाफत आंदोलन को देश की स्वतंत्रता के आंदोलन से जोड़ने के विरोधी थे।
- उन्होंने गांधीजी को राजनीति में धर्म को न लाने की सलाह दी थी।
- उन्होंने खिलाफत आंदोलन में गांधीजी की भागीदारी के विरुद्ध गांधीजी को सावधान किया था कि वे मुस्लिम धार्मिक नेताओं एवं उनके अनुयायियों के कट्टरपन को प्रोत्साहित न करें।
वह व्यक्ति जिसने 4 अप्रैल, 1919 को दिल्ली की जामा मस्जिद के प्रवचन मंच से हिंदू - मुस्लिम एकता पर भाषण दिया, वे थे - स्वामी श्रद्धानंद U.P. Lower Sub. (Pre) 2004
- 4 अप्रैल, 1919 को दिल्ली की जामा मस्जिद के प्रवचन मंच से स्वामी श्रद्धानंद ने हिंदू मुस्लिम एकता पर लगभग 30,000 मुस्लिमों के समक्ष भाषण दिया था।
1920 की खिलाफत कमेटी की सभा, जिसने गांधी को असहयोग आंदोलन के नेतृत्व में संभालने का अनुरोध किया था वह किस शहर में हुई थी - इलाहाबाद B.P.S.C. (Pre) 1994
- गांधीजी ने 1920 में खिलाफत कमेटी को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ने की सलाह दी।
- जून, 1920 में खिलाफत कमेटी ने इलाहाबाद में इस सलाह को स्वीकार किया और गांधीजी को आंदोलन की अगुआई करने का अधिकार सौंपा।
- सितंबर, 1920 में कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया।
कांग्रेस ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया, मुख्यतः - 1. खलीफा की पुनः स्थापना के लिए 2. मुसलमानों की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए U.P. Lower (Spl). (Pre) 2008/U.P.P.C.S. (GIC) 2010
- कांग्रेस ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन खलीफा की पुनः स्थापना के लिए तथा मुसलमानों की सहानुभूति पाने के लिए किया था।
- गांधी जी के अनुसार यह हिंदू - मुस्लिम एकता के लिए स्वर्णिम अवसर था।
- उन्होंने लिखा कि जब मुसलमानों के महत्वपूर्ण हित खतरे में हों, तब यदि हिंदू उनसे दूर रहे तो हिंदू - मुस्लिम एकता के बारे में कांग्रेस का कोई अर्थ नहीं रहेगा।
1921 का मोपला आंदोलन शाखा थी - खिलाफत आंदोलन की B.P.S.C. (Pre) 1999
- केरल प्रांत के मालाबार जिले के मोपला काश्तकारों के आंदोलन मुख्यतः लगान एवं बेदखली को लेकर थे।
- जमींदार जब चाहते उन्हें भूमि से बेदखल कर देते और जब चाहते मनमाना लगान वसूलते।
- दूसरी ओर वहां खिलाफत आंदोलन भी अपनी जड़े जमाता जा रहा था।
- हालात ये हो गए कि खिलाफत आंदोलन एवं काश्तकारों की बैठक में फर्क करना मुश्किल हो गया।
- इस तरह दोनों आंदोलन एक दूसरे में समा गए।
असहयोग आंदोलन
किसने 1920 के नागपुर के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया था - सी.आर.दास ने U.P.P.C.S. (Pre) 2011
- सितंबर, 1920 में कलकत्ता में संपन्न भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में महात्मा गांधी ने असहयोग के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया था जिसका सी.आर.दास ने विरोध किया था।
- दिसंबर, 1920 में नागपुर में संपन्न कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में असहयोग प्रस्ताव पर व्यापक चर्चा हुई तथा इसका अनुसमर्थन किया गया।
- नागपुर अधिवेशन में असहयोग प्रस्ताव सी.आर.दास ने ही प्रस्तावित किया था।
महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आंदोलन था - असहयोग आंदोलन U.P.P.C.S. (Pre) 2007
- गांधीजी के नेतृत्व में पहला आंदोलन 1917 में चंपारन के नील की खेती करने वाले किसानों के समर्थन में किया गया था।
- यह गांधीजी का प्रथम किसान सत्याग्रह था।
- गांधीजी के नेतृत्वों में किया जाने वाला पहला जन आंदोलन असहयोग आंदोलन को माना जाता है जो 1920 - 22 में चलाया गया था।
- नमक आंदोलन 12 मार्च, 1930 को प्रारंभ किया गया था।
- भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त, 1942 से हुई थी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहला असहयोग आंदोलन किस वर्ष में शुरु किया था - 1920 M.P.P.C.S. (Pre) 1990
- 1920 में कलकत्ता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में पास हुए असहयोग संबंधी प्रस्ताव की दिसंबर, 1920 में नागपुर में हुए कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में पुष्टि कर दी गई।
गांधीजी ने असहयोग आंदोलन कब प्रारंभ किया - 1920 B.P.S.C. (Pre) 2008
- गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन 1 अगस्त, 1920 को प्रारंभ किया गया।
- पश्चिमी भारत, बंगाल तथा उत्तरी भारत में असहयोग आंदोलन को अभूतपूर्व सफलता मिली।
- असहयोग आंदोलन के दौरान ही मोतीलाल नेहरु, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरु तथा राजेंद्र प्रसाद न्यायालय का बहिष्कार कर आंदोलन में कूद पड़े थे।
एक वर्ष में स्वराज का नारा गांधीजी ने कब दिया - असहयोग आंदोलन के समय U.P.P.C.S. (Mains) 2012
- असहयोग आंदोलन 1 अगस्त, 1920 को औपचारिक रुप से प्रारंभ किया गया था तथा 5 नवंबर, 1920 को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरु होने के एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त करने का नारा दिया।
असहयोग आंदोलन की अवधि क्या थी - 1920 से 1922 U.P.P.C.S. (Mains) 2002
- असहयोग आंदोलन 1 अगस्त, 1920 को प्रारंभ हुआ किन्तु 5 फरवरी, 1922 को हुए चौरी - चौरा कांड के कारण महात्मा गांधी ने इसे वापस ले लिया था।
- असहयोग आंदोलन का लक्ष्य एक वर्ष के भीतर स्वराज की प्राप्ति था।
- इसके साथ ही सरकारी उपाधि स्कूल न्यायालयों तथा विदेशी समानों का पूर्णतः बहिष्कार की योजना भी थी।
असहयोग आंदोलन की सफलताएं क्या थी - 1. कांग्रेस सर्वप्रथम जन - आंदोलन बनी 2. हिंदू - मुस्लिम एकता में वृद्धि हुई 3. जनता के मन से ब्रिटिश शक्ति का भय हट गया I.A.S. (Pre) 1996
- असहयोग आंदोलन की अनेक सफलताएं हैं, इसी आंदोलन ने पहली बार देश की जनता को इकट्ठा किया।
- अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर कोई यह आरोप नहीं लगा सकता था कि वह कुछ मुट्ठी भर लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।
- इस आंदोलन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि उसने जनता को आधुनिक राजनीति से परिचित कराया, उनमें आजादी की भूख जगाई।
- मालाबार की घटनाओं के बावजूद इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर मुसलमानों की भागीदारी और सांप्रदायिक एकता आंदोलन की कोई छोटी उपलब्धि नहीं थी।
- साथ ही इस आंदोलन से जनता के मन से ब्रिटिश शक्ति का भय हट गया।
- तथा चौरी - चौरा कांड के बाद इस आंदोलन को समाप्त कर दिया गया।
ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी को जो उपाधि दी थी और जिसे उन्होंने असहयोग आंदोलन में वापस कर दिया, वह थी - कैसर - ए - हिंद U.P. Lower (Spl). (Pre) 2004/I.A.S. (Pre) 1993
- जिस समय गांधीजी भारत आए (1915), उस समय प्रथम विश्वयुद्ध चल रहा था।
- उन्होंने सरकार के युद्ध प्रयासों में मदद की, जिसके लिए सरकार ने उन्हें कैसर - ए - हिंद सम्मान से सम्मानित किया, जिसे उन्होंने असहयोग आंदोलन में वापस कर दिया।
- अन्य लोगों ने भी गांधीजी का अनुकरण करते हुए अपनी पदवियों एवं उपाधियों को त्याग दिया तथा जमनालाल बजाज ने अपनी राय बहादुर की उपाधि वापस कर दी।
किसने असहयोग आंदोलन के दौरान अपनी वकालत छोड़ दी थी - चितरंजन दास ने U.P.P.C.S. (Pre) 1996
- असहयोग आंदोलन के दौरान सी.आर.दास. मोतीलाल नेहरु, राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरु, विट्ठलभाई पटेल एवं वल्लभभाई पटेल ने अपनी वकालत छोड़ दी थी।
किसने असहयोग आंदोलन को समर्थन दिया, परंतु इसके परिणाम नहीं देख सके - बाल गंगाधर तिलक U.P.P.C.S. (Pre) 2010
- असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1920 से 1922 तक संचालित हुआ।
- बाल गंगाधर तिलक ने असहयोग आंदोलन को समर्थन दिया परंतु इस आंदोलन के प्रथम दिन 1 अगस्त, 1920 को उनकी मृत्यु हो जाने के कारण वह इसका परिणाम नहीं देख सके।
किस क्षेत्र में राहुल सांकृत्यायन 1920 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय थे - छपरा B.P.S.C. (Pre) 2015
- राहुल सांकृत्यायन (1893 - 1963) ने अपनी शिक्षा बनारस से पूर्ण की।
- वह 1912 ई. में साधु बन गए और अपना नाम बाबा रामोदर दास रख लिया।
- उन्होंने वर्ष 1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया।
- इन्हें 6 महीने की जेल भी हुई।
- यह असहयोग आंदोलन के समय छपरा में सक्रिय थे।
- वर्ष 1922 में ये छपरा डीसीसी के अध्यक्ष चुने गए।
चौरी - चौरा कांड की वास्तविक तिथि क्या है - 5 फरवरी, 1922 U.P.P.C.S. (Mains) 2006/ U.P. Lower (Spl). (Pre) 2002
- चौरी - चौरा कांड की वास्तविक तिथि 5 फरवरी, 1922 है।
- इस तिथि को संयुक्त प्रांत के गोरखपुर जिले में चौरी - चौरा नामक स्थान पर किसानों के एक जुलूस पर गोली चलाए जाने के कारण क्रुद्ध भीड़ ने थानें में आग लगा दी, जिससे 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई।
- यही घटना इतिहास में चौरी - चौरा कांड के नाम से प्रसिद्ध है।
चौरी - चौरा किस जनपद में स्थित है - गोरखपुर U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2008/U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2013
महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया, क्योंकि - चौरी - चौरा में हिंसा भड़क उठी U.P.P.C.S. (Pre) 1990
किस घटना के कारण गांधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस लिया था - चौरी - चौरा कांड B.P.S.C. (Pre) 2004
- 5 फरवरी, 1922 को हुए चौरी - चौरा कांड से क्षुब्ध होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
- 12 फरवरी, 1922 को बारदोली में हुई कांग्रेस की बैठक में आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया गया।
- आंदोलन समाप्त करने के अपने निर्णय के बारे में गांधीजी ने यंग इंडिया में लिखा कि - आंदोलन हिंसक होने से बचाने के लिए मै हर एक अपमान हर एक यंत्रणापूर्ण बहिष्कार यहां तक कि मौत भी सहने को तैयार हूँ।
किस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को अपनी हिमालय जैसी भूल बताई थी - चौरी - चौरा B.P.S.C. (Pre) 2015
- चौरी - चौरा उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास एक कस्बा है।
- जहां 5 फरवरी, 1922 को आंदोलनकारियों की भीड़ ने ब्रिटिश शासन की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे 22 पुलिस कर्मचारी जिंदा जलकर मर गए थे।
- गांधीजी ने इस घटना की निंदा की तथा असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया।
- गांधीजी ने इस घटना को हिमालय जैसी भूल की संज्ञा दी।
चौरी - चौरा की घटना के समय महात्मा गांधी कहां थे - बारदोली में U.P.P.C.S. (Mains) 2011
- 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर के निकट चौरी - चौरा की घटना हुई थी और गांधीजी ने 12 फरवरी, 1922 को बारदोली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाकर असहयोग आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी।
- चौरी - चौरा की घटना के समय गांधीजी गुजरात के बारदोली में
- सामूहिक सत्याग्रह द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने की तैयारी कर रहे थे।
दिल्ली में 24 फरवरी, 1922 को आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में असहयोग आंदोलन वापस लेने के लिए गांधीजी के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया था - डॉ. मुंजे U.P.P.C.S. (Mains) 2002
- असहयोग आंदोलन 1 अगस्त, 1920 को प्रारंभ हुआ किंतु 5 फरवरी, 1922 को हुए चौरी - चौरा कांड के कारण महात्मा गांधी ने इसे वापस ले लिया।
- इसी परिप्रेक्ष्य में 24 फरवरी, 1922 को आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की दिल्ली में बैठक हुई, जिसमें ऐसी सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई, जिनसे कानून का उल्लंघन होता है।
- इसी अधिवेशन में असहयोग आंदोलन वापस लेने के कारण डॉ. मुंजे के द्वारा गांधी जी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया।
असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी वस्त्रों के लिए जलाए जाने पर किसने महात्मा गांधी को लिखा कि यह निष्ठुर बर्बादी है - रबींद्रनाथ टैगोर U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002/U.P.P.C.S. (Pre) 2003/U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004/ U.P.P.C.S. (Mains) 2010
- रबींद्रनाथ टैगोर आंदोलन एवं विरोध प्रदर्शन के विपरीत रचनात्मक कार्यक्रम को विशेष महत्व प्रदान करते थे जिसके कारण उन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के विपरीत गांधी जी को रचनात्मक कार्यक्रम अपनाने की बात अपने पत्र में कही।
- असहयोग आंदोलन के दौरान रबींद्रनाथ टैगोर ने विदेशी वस्त्रों को जलाये जाने को अविवेकी या निष्ठुर बर्बादी कहा था।
किन - किन संस्थाओं को असहयोग आंदोलन (1920 - 22) के दौरान स्थापित किया गया - 1. काशी विद्यापीठ 2. गुजरात विद्यापीठ 3. जामिया मिलिया U.P.P.C.S. (Mains) 2005
- असहयोग आंदोलन (1920 - 22) के दौरान काशी विद्यापीठ बनारस में 1920 में, गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद में 1920 में तथा जामिया मिलिया इस्लामिया अलीगढ़ में 1920 में, जो बाद में दिल्ली ले जाया गया, स्थापित हुए।
1921 - 22 के असहयोग आंदोलन का मुख्य प्रतिफल था - हिंदू - मुस्लिम एकता U.P.P.C.S. (Pre) 2005
- असहयोग आंदोलन अपने घोषित उद्देश्यों में आंशिक रुप से ही सफल रहा, परंतु अपने रचनात्मक कार्यों में इसे अवश्य अपार सफलता मिली।
- आंदोलन की सफलता सबसे अधिक इस बात में निहित है कि इसने कांग्रेस को नई दिशा प्रदान की, साम्राज्यवाद पर आघात किया एवं पूरे देश में राष्ट्र प्रेम और देशप्रेम के प्रति बलिदान की भावनाओं को व्यापक रुप दिया।
- इस आंदोलन के दौरान हिंदू - मुस्लिम एकता अपने चरम पर थी।
चौरी - चौरा कांड | बारदोली प्रस्ताव | असहयोग आंदोलन का स्थगन |
5 फरवरी 1922 | 12 फरवरी, 1922 | 1922 |
सविनय अवज्ञा आंदोलन
किस कांग्रेस सत्र में कार्यकारी कमेटी को सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने का अधिकार दिया गया था - लाहौर सत्र I.A.S. (Pre) 2005
- 1929 में लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस कार्यकारिणी को सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरु करने का अधिकार दिया गया।
- फरवरी, 1930 में साबरमती आश्रम में हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की दूसरी बैठक में महात्मा गांधी को इस आंदोलन का नेतृत्व सौंपा गया।
दांडी यात्रा के साथ क्या प्रारंभ हुआ - सविनय अवज्ञा आंदोलन B.P.S.C. (Pre) 2000
- महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 को अपना प्रसिद्ध दांडी मार्च शुरु किया।
- उन्होंने साबरमती आश्रम से 78 चुने हुए साथियों के साथ सत्याग्रह के लिए कूच किया।
- 24 दिनों की लंबी यात्रा के बाद उन्होंने 6 अप्रैल, 1930 को दांडी में सांकेतिक रुप से नमक कानून भंग किया और इस प्रकार नमक कानून तोड़कर उन्होंने औपचारिक रुप से सविनय अवज्ञा आंदोलन का शुभारंभ किया।
- सविनय अवज्ञआ आंदोलन गांधीजी के नेतृत्व में पूरे देश में फैल गया।
- तमिलनाडु में गांधीवादी नेता सी.राजगोपालाचारी ने तिरुचेनगोड आश्रम से त्रिचरापल्ली के वेदारण्यम तक नमक यात्रा की।
प्रांतों में से किस प्रांत के सत्याग्रहियों की संख्या महात्मा गांधी के दांडी कूच में सर्वाधिक थी - गुजरात U.P.P.C.S. (Mains) 2013
- 12 मार्च, 1930 को महात्मा गांधी ने दांडी (गुजरात) में समुद्र तट पर नमक कानून का उल्लंघन करके सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) से 78 चुने हुए साथियों के साथ सत्याग्रह के लिए कूच किया।
गुजरात | महाराष्ट्र | उत्तर प्रदेश | कच्छ | केरल | पंजाब | राजपुताना | बांबे |
31 | 13 | 8 | 6 | 4 | 3 | 3 | 2 - दादू भाई, हरीलाल माहिमतुरा |
सिंध | नेपाल | तमिलनाडु | आंध्र प्रदेश | उत्कल | कर्नाटक | बिहार | बंगाल |
1 - आनंद हिंगोरानी | 1 - महावीर | 1 - तपन नायर | 1 - सुब्रमण्यन | 1 - मोतीवासदास | 1 - महादेव मार्तंड | 1 - गिरिवरधारी चौधरी | 1 - दुर्गेश चंद्र दास |
सविनय अवज्ञा आंदोलन
किस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक मानी जाती है - नमक सत्याग्रह U.P.P.C.S. (Mains) 2016
- महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 को नमक सत्याग्रह की शुरुआत की।
- अपने 78 अनुयायियों के साथ उन्होंने डांडी मार्च किया तथा 24 दिन की लंबी यात्रा के पश्चात 6 अप्रैल, 1930 को डांडी में सांकेतिक रुप से नमक कानून को तोड़ा।
- यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।
- इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक मानी जाती है।
महात्मा गांधी ने 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ किया था - दांडी से I.A.S. (Pre) 1995
- महात्मा गांधी 12 मार्च, 1930 को साबरमती आश्रम से 78 सहयोगियों के साथ पैदल चलकर 24 दिनों में लगभग 390 किमी. की यात्रा कर दांडी (गुजरात के नौसारी जिले में स्थित) पहुंचे जहां 6 अप्रैल, 1930 को उन्होंने नमक कानून भंग कर सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ किया।
भारतीय इतिहास में 6 अप्रैल, 1930 की तिथि जानी जाती है - महात्मा गांधी द्वारा दांडी मार्च हेतु U.P.P.C.S. (Pre) 2002/ U.P.P.C.S. (Mains) 2012
- 6 अप्रैल, 1930 को महात्मा गांधी ने दांडी में एक मुट्ठी नमक हाथ में लेकर सिविल नाफरमानी आंदोलन (सविनय अवज्ञा आंदोलन) का श्री गणेश किया।
- सुभाषचंद्र बोस ने गांधीजी के इस अभियान की तुलना नेपोलियन के एल्बा से पेरिस की ओर किए जाने वाले अभियान से की थी।
- एक अंग्रेजी समाचार संवाददाता ने खिल्ली उड़ाई और कहा कि क्या सम्राट को एक केतली में पानी उबालने से हराया जा सकता है।
- इसके उत्तर में गांधी जी ने कहा - गांधी महोदय समुद्री जल को तब तक उबाल सकते हैं जब तक कि डोमिनियन स्टेटस नहीं मिल जाता।
शक्ति के विरुद्ध अधिकार की इस लड़ाई में मै विश्व की सहानुभूति चाहता हूं। यह कथन किससे संबंद्ध है - गांधी की दांडी यात्रा से U.P.P.C.S. (Mains) 2013
- 5 अप्रैल, 1930 को महात्मा गांधी अपने नमक सत्याग्रह के तहत दांडी ग्राम पहुंचे, उन्होंने दांडी आए सभी देशी व विदेशी पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शक्ति के विरुद्ध अधिकार की इस लड़ाई में मै विश्व की सहानुभूति चाहता हूँ।
महात्मा गांधी द्वारा नमक आंदोलन किस वर्ष में चलाया गया था - वर्ष 1930 में U.P.P.C.S. (Pre) 2003/U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002
- गांधीजी द्वारा आरंभ किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन में प्रतीक के रुप में 6 अप्रैल, 1930 को दांडी में नमक कानून तोड़कर ब्रिटिश सरकार के प्रति अवज्ञा अपनाई गई।
- आंदोलन शुरु करने से पहले गांधीजी ने वायसराय इरविन के समक्ष जो 11 मांगें रखी थीं, उसमें नमक कर एवं नमक पर सरकारी एकाधिकार की समाप्ति की मांग की गई थी न कि गरीबों को मुफ्त नमक उपलब्ध कराने की।
नमक सत्याग्रह के समय गांधीजी के गिरफ्तार हो जाने के बाद आंदोलन के नेता के रुप में उनका स्थान किसने लिया - अब्बास तैयबजी U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2006/U.P.P.C.S. (Pre) 2002/U.P.P.C.S. (Mains) 2012
- गांधीजी ने अपने 78 सहयोगियों के साथ साबरमती आश्रम से 240 मील दूर समुद्र तट पर बसे दांडी गांव में 6 अप्रैल को पहुंचकर नमक बनाया और नमक कानून का उल्लंघन किया।
- इस सत्याग्रह में गांधीजी की गिरफ्तारी शोलापुर में हुई।
- उसके बाद आंदोलन का नेतृत्व अब्बास तैयबजी के हाथों में आ गया।
- इस आंदोलन में स्त्रियों ने भी अपनी भागीदारी दी।
महात्मा गांधी धरसना नमक गोदाम - पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के धावे के समय कहां थे - यरवदा जेल में U.P.P.C.S. (Pre) 2010
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान धरसना नमक गोदाम पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के धावे से पूर्व महात्मा गांधी को 5 मई, 1930 को गिरफ्तार कर यरवदा जेल भेज दिया गया था।
- उनके स्थान पर अब्बास तैयबजी आंदोलन के नेता हुए।
- उनकी भी गिरफ्तारी के बाद श्रीमती सरोजनी नायडू ने 21 मई, 1930 को धरसना नमक गोदाम पर धावे का नेतृत्व किया था।
- इस लोमहर्षक घटना का विवरण अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर ने प्रस्तुत किया है।
आचार्य विनोबा भावे किस आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रथम बार गिरफ्तार हुए थे - सविनय अवज्ञा आंदोलन U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001
- आचार्य विनोबा भावे गांधीजी के निकट सहयोगियों में से थे।
- गांधीजी द्वारा संचालित विभिन्न आंदोलनों में उन्होंने भाग लिया।
- 1930 में वे सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के दौरान प्रथम बार गिरफ्तार हुए।
गांधीजी ने जिस विदेशी पत्रकार को दांडी मार्च के समय अपने साबरमती आश्रम में ठहराया, वह था - वेब मिलर U.P.P.C.S. (Pre) 2002/U.P. Lower (Spl). (Pre) 2003
- वेब मिलर एक अमेरिकी पत्रकार था, जिसे गांधीजी ने दांडी मार्च के समय अपने साबरमती आश्रम में ठहराया था।
- धरसना की वीभत्स पुलिस ज्यादतियों का उल्लेख करते हुए, इसने लिखा है कि - संवाददाता के रुप में मैंने पिछले 18 वर्ष में असंख्य नागरिक विद्रोह देखे हैं। दंगे, गली - कूचों में मार - काट एवं विद्रोह देखे लेकिन धरसना जैसा भयानक दृश्य मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा।
इनमें से किसने अप्रैल, 1930 में नमक कानून तोड़ने के लिए तंजौर तट पर एक अभियान संगठित किया था - सी.राजगोपालाचारी I.A.S. (Pre) 2015
- 6 अप्रैल, 1930 को गांधीजी ने गुजरात के दांडी तट पर नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन किया।
- इसी के साथ संपूर्ण देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन का शुभारंभ हुआ तथा समस्त देश में नमक कानून उल्लंघन संबंधी अभियान संचालित किए गए।
- तमिलनाडु में तंजौर के समुद्री तट पर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने त्रिचीनापल्ली से वेदारण्यम की नमक यात्रा प्रारंभ की।
- 30 अप्रैल को इनको गिरफ्तार करने के बाद भी यह आंदोलन इनके समर्थकों द्वारा चलता रहा।
लाल कुर्ती दल संगठित किया गया था - अंग्रेजों को निकालने के लिए U.P.P.C.S. (Pre) 1993
भारतीय स्वाधीनता संघर्ष के दौरान रेड शटर्स के नाम से भी पहचाने जाने वाले खुदाई खिदमतगारों ने आह्वाहन किया - पठान क्षेत्रीय राष्ट्रवादी एकता का और उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष का I.A.S. (Pre) 2002
- उत्तर - पश्चिमी सीमा प्रांत में खान अब्दुल गफ्फार खां के नेतृत्व में खुदाई खिदमतगार नामक स्वयंसेवक संगठन स्थापित किया गया था, इन्हें लाल कुर्ती (Red Shirt) के नाम से भी जाना जाता है।
- लाल कुर्ती संगठन ने पठानों की राष्ट्रीय एकता का नारा बुलंद किया और अंग्रेजों से स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध आंदोलन संगठित किया तथा श्रमजीवियों की हालत में सुधार की मांग की।
- जब अन्य प्रांतों में मुसलमान स्वयं को सत्याग्रह आंदोलन से अलग रख रहे थे, उत्तर - पश्चिमी सीमा प्रांत के मुसलमानों ने खान अब्दुल गफ्फार के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
गढ़वाल रेजीमेंट के सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया था - सविनय अवज्ञा आंदोलन U.P.P.C.S (Spl.) (Pre) 2004
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान पेशावर में गढ़वाल रेजीमेंट के सिपाहियों ने चंद्रसिह गढ़वाली के नेतृत्व में निहत्थी भीड़ पर गोली चलाने से इंकार कर दिया था।
- इस इलाके में खान अब्दुल गफ्फार खां वर्षो से सक्रिय थे और उनके द्वारा जनता में किए गए काम की वजह से अहिंसक क्रांतिकारियों के बहादुर जत्थे यानी खुदाई खिदमतगारों के दल तैयार हुए थे, ये लोग लाल कुर्ती के नाम से जाने जाते थे।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन में इनकी भूमिका काफी सक्रिय थी।
जियातरंग आंदोलन कहां प्रारंभ हुआ - मणिपुर में U.P.P.C.S. (Pre) 2008
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान मणिपुर की जनजातियों ने भी सक्रिय भागीदारी दिखाई यहां पर आंदोलन का नेतृत्व नगा जनजातियों की महिला गैडिनल्यू ने किया।
- इसे जियातरंग आंदोलन कहा जाता है।
बेगूसराय के चौकीदारी टैक्स के विरुद्ध आंदोलन एक हिस्सा था - सविनय अवज्ञा आंदोलन B.P.S.C. (Pre) 1997
- दिसंबर, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान उत्तरी बिहार के सारण जिले में बिहोर नामक स्थान पर चौकीदारी टैक्स के विरोध में प्रदर्शन हुआ और प्रदर्शनकारियों ने बंदूक से 27 बार छर्रे दागे जाने की परवाह नहीं की।
- अगले महीने बेगूसराय (मुंगेर जिला) में स्वतंत्रता दिवस के लिए एकत्रित भीड़ में भारी संख्या में ग्रामवासी आकर सम्मिलित हो गये और उपमंडल अधिकारी को एक गड्ढे में खदेड़ दिया।
- 146 बार गोलीबारी किए जाने के बाद ही वे विसर्जित हुए।
प्रभावती देवी किस क्षेत्र की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी - पटना B.P.S.C. (Pre) 2008
- स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार की महिलाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- इन महिलाओं में सरला देवी, प्रभावती देवी, राजवंशी देवी, सुनीति देवी तथा राधिका देवी प्रमुख हैं।
- प्रभावती देवी पटना की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं।
गांधी अवज्ञा आंदोलन की असफलता के बाद गांधीजी ने महत्व दिया - रचनात्मक कार्यक्रम को B.P.S.C. (Pre) 1996
- सविनय अवज्ञा आंदोलन की असफलता के बाद गांधी ने रचनात्मक कार्यक्रम को महत्व दिया।
- अक्टूबर, 1934 में गांधीजी ने अपना पूरा समय हरिजनोत्थान में लगाने के लिए सक्रिय राजनीति से स्वयं को हटाने का निश्चय किया।
- सितंबर, 1932 में गांधीजी ने हरिजन कल्याण हेतु अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की तथा हरिजन नामक सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया।
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