पह्लव
यवन
हिन्द यवन
उपरोक्त सभी
संगम काल में देसी व विदेशी व्यापार अपने चरम पर था। देशी व्यापार की वस्तु विनिमय प्रथा थी। पुहार और साली पुर के बंदरगाह विदेशी व्यापार के मुख्य क्रेंद्र हुआ करते थे। इसके अलावा गौरा, मुंजीरित और नेलसिडा आदि भी विदेशी व्यापार में सहायक बंदरगाह थे। भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं में काली मिर्च, हाथी दांत, मसाले, सच्चे मोती और सूती कपड़ा प्रमुख वस्तुएं होती थी जबकि तांबे, टीन और मदिरा आदि का आयात किया जाता था। सर्वाधिक व्यापार रोम से होता था। तमिल साहित्य में यूनानी रोम व्यापारियों को यमन कहा गया है।
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