शैव
वैष्णव
अद्वैतवादी
अवधूत
श्रीनिवास रामानुजाचार्य वेदांत दर्शन परंपरा में विशिष्टाद्वैत के प्रवर्तक है। उपनिषद, भागवत गीता एवं ब्रह्मसूत्र के श्री शंकराचार्य के अद्वैतपरक व्याख्या के प्रतिपाद के रूप में रामानुज ने विशिष्टाद्वैत का प्रतिपादन किया है। इनके समय में जैन और बौद्ध धर्म के प्रचार के कारण वैष्णव धर्म संकट ग्रस्त था। रामानुज ने इस संकट का वैष्णव धर्म संकटग्रस्त का सफलतापूर्वक प्रतिकार किया।
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