1906 के बाद
1909 के बाद
1914 के बाद
1919 के बाद
कांग्रेस का कलकत्ता आधिवेशन 1906 में नरम दल और गरम दल के बीच जो मतभेद थे, वह उभरकर सामने आये।
इन मतभेदों के कारण अगले ही वर्ष 1907 ई0 के 'सूरत अधिवेशन' में कांग्रेस के दो टुकड़े हो गये और अब कांग्रेस पर नरम पंथियों का कब्जा हो गया।
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