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हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम वर्ष 2020 में पारित किया गया था।
यह अधिनियम राज्य के स्थानीय निवासियों के लिए 75% नौकरियों को सुरक्षित रखता है।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएं →
यह अधिनियम सभी साझेदारी फर्मों, कंपनियों, ट्रस्टों, सोसाइटियों और 10 या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले किसी भी संगठन पर लागू होता है।
यह अधिनियम राज्य और केंद्र सरकार पर लागू नहीं होता है।
यह अधिनियम 10 साल के लिए, यानी 2030 तक लागू होगा।
राज्य में नियोक्ताओं (employers) को स्थानीय उम्मीदवारों को 75% नौकरियां प्रदान होंगी।
ये नौकरियां वे हैं जो 50,000 रुपये तक वेतन प्रदान करती हैं।
नियोक्ताओं को अपने सभी कर्मचारियों को एक निर्दिष्ट पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा।
यदि आवश्यक कौशल के पर्याप्त स्थानीय उम्मीदवार नहीं हैं तो नियोक्ता छूट का दावा कर सकते हैं।
इसमें समस्या क्या है?
संविधान सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
इसमें समानता का अधिकार, किसी भी व्यवसाय का अभ्यास करने का अधिकार और किसी भी राज्य या देश के किसी भी हिस्से में रहने का अधिकार शामिल है।
साथ ही, मौलिक अधिकार जन्म स्थान, जाति, लिंग आदि के खिलाफ भेदभाव पर रोक लगाते हैं, लेकिन देश के राज्य कमजोर और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों में सुधार के लिए रियायतें प्रदान कर सकते हैं।
यह अधिनियम निजी संस्थानों के लिए अनिवार्य प्रावधान करता है।
यह देश के किसी भी हिस्से में व्यापार करने के अधिकार का उल्लंघन करता है।
यह अधिवास (domicile) के आधार पर अधिनियम बनाया गया है। यह मौलिक अधिकार, अनुच्छेद 16(2) का उल्लंघन है। अनुच्छेद 16(2) जन्म स्थान के प्रति भेदभाव का निषेध करता है।
इस अधिनियम की आवश्यकता क्यों पड़ी?
हरियाणा का इन-माइग्रेशन हाल ही में बढ़ रहा है। ये प्रवासी मुख्य रूप से कम वेतन वाली नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार, 2002 और 2011 के बीच हरियाणा का कुल प्रवास 8 लाख था।
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