एस जयशंकर
रामनाथ कोविंद
नरेंद्र मोदी
हर्षवर्धन श्रृंगला
27 जनवरी को पीएम मोदी भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे।
पांच मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रपति इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
वे कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिज गणराज्य हैं।
यह पहला भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन है।
यह शिखर सम्मेलन वर्चुअली आयोजित किया जायेगा।
शिखर सम्मेलन का महत्व →
यह देश अफगानिस्तान के साथ अपनी सीमाएं साझा करते हैं।
अगस्त 2021 में अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान से चले जाने के बाद तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया था।
इससे अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय विकास कार्य अधूरे रह गए। साथ ही, अफगानिस्तान के विकास के लिए किया गया भारतीय निवेश व्यर्थ चला गया।
कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिज गणराज्य चीन के साथ अपनी सीमाएं साझा करते हैं।
भारत अब चीन के साथ 21 महीने के गतिरोध में शामिल है।
अनुमान →
शिखर सम्मेलन मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव को दर्शाता है।
वे भारत के विस्तारित पड़ोस (extended neighbourhood) हैं।
भारत-मध्य एशिया संवाद (India – Central Asia Dialogue) →
भारत-मध्य एशिया संवाद प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
इसमें मंत्रियों के बीच बातचीत होती है।
पहला संवाद 2019 में आयोजित किया गया था।
भारत और मध्य एशियाई देशों ने 2020 में उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए।
मध्य एशियाई देश भारत के साथ 1 बिलियन डालर की क्रेडिट लाइन के बारे में बातचीत कर रहे हैं।
तीसरा संवाद दिसंबर 2021 में आयोजित किया गया था।
इस संवाद के दौरान, देशों ने 4C (commerce, connectivity, capacity building and contact) के आधार पर अपना सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया।
भारत – मध्य एशिया व्यापार परिषद (India – Central Asia Business Council) →
यह व्यापार संबंधों, पारस्परिक निवेश और व्यावसायिक नियमों की समझ को बढ़ावा देती है। इस परिषद की आखिरी और दूसरी बैठक 2020 में हुई थी। परिषद की अगली और तीसरी बैठक 2022 में उज्बेकिस्तान में आयोजित की जाएगी।
भारत – मध्य एशिया व्यापार →
भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार लगभग 2 बिलियन डालर है।
दूसरी ओर, चीन और मध्य एशिया के बीच व्यापार लगभग 100 बिलियन डालर है।
Post your Comments