उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की
प्रतिचक्रवात की
उष्णार्द्र चक्रवात की
आक्लूडेड वाताग्र की
तात्पर्य है कि - "किसी चक्रवात का बिल्कुल भीतरी भाग"। चक्रवात के इस स्थान पर वायु दाब निम्न रहता है, वायु शांत रहती है और बहुत धीमी गति से बहती है। इसके निर्माण का कारण यह है कि चक्रवात में अंतर्मुखी पवनें बहुत तीव्र गति से केन्द्र के चारों और तो घूमती हैं, परंतु केन्द्र पर अभिसरित नहीं हो पाती। यह क्रिया ठीक वैसी ही है, जैसे कोई उपग्रह केन्द्र की ओर आकर्षित होते हुए भी केन्द्र के इर्द-गिर्द वृत्ताकार पथ में घूमने को बाध्य होता है। इस प्रकार चक्रवात का केंद्र एक खोखले पाइप की भांति होता है, जिसमें पवनें प्रवेश नहीं कर पातीं।
Post your Comments