कुषाणों के समय
गुप्तों के समय
अकबर के समय
मौर्यो के समय
इसे इंडो ग्रीक शैली (ग्रीक बुद्धिस्ट शैली) भी कहा जाता है। इसका केंद्र गंधार था, अतः इसे गंधार कला शैली भी कहा जाता है। इसमें बुद्ध एवं बोधिसत्वों की मूर्तियां काले स्लेटी पाषाण से बनाई गई हैं। यह यूनानी देवता अपोलो की नकल प्रतीक होती है।
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