रक्षा मंत्रालय
गृह मंत्रालय
सुप्रीम कोर्ट
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय
गृह मंत्रालय ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में कैदियों को विशेष छूट देने के लिये राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
पात्रता →
50 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाएँ और ट्रांसजेंडर कैदी तथा 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुष कैदी।
इन कैदियों को अर्जित सामान्य छूट की अवधि की गणना किये बिना अपनी कुल सज़ा अवधि का 50% पूरा करना होगा।
70% या अधिक की विकलांगता के साथ शारीरिक रूप से अक्षम कैदी जिन्होंने अपनी कुल सज़ा की अवधि का 50% पूरा कर लिया है।
गंभीर रूप से बीमार सज़ायाफ्ता कैदी जिन्होंने अपनी कुल सज़ा का दो-तिहाई (66%) पूरा कर लिया है।
गरीब या निर्धन कैदी जिन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है लेकिन उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान न कर पाने के कारण वे अभी भी जेल में हैं।
ऐसे व्यक्ति जिन्होंने कम उम्र (18-21) में अपराध किया हो और उनके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक संलिप्तता या मामला नहीं है तथा अपनी सज़ा कीअवधि का 50% पूरा कर लिया है, वे भी पात्र होंगे।
योजना से बाहर रखे गए कैदी →
मौत की सज़ा के साथ दोषी ठहराए गए व्यक्ति या जहांँ मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है या किसी ऐसे अपराध के लिये दोषी ठहराया गया है, जिसके लिये मौत की सज़ा को सज़ा में से एक के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
आजीवन कारावास की सज़ा के साथ दोषी ठहराए गए व्यक्ति।
आतंकवादी गतिविधियों में शामिल अपराधी या दोषी व्यक्ति- आतंकवादी और विघटनकारी कार्यकलाप (निवारण) अधिनियम, 1985; आतंकवादी रोकथाम अधिनियम, 2002; गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967; विस्फोटक अधिनियम, 1908; राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1982; आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 और अपहरण विरोधी अधिनियम, 2016।
दहेज हत्या, जाली नोंट, बच्चों के खिलाफ यौन अपराध संबंधी दंड को अधिक कठोर बनाने हेतु बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012; अनैतिक तस्करी अधिनियम, 1956; धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 आदि के अपराध के लिये दोषी व्यक्तियों के मामले में राज्य के खिलाफ (आईपीसी का अध्याय-VI) अपराध और कोई अन्य कानून जिसे राज्य सरकारें या केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन बाहर करना उचित समझते हैं, विशेष छूट के लिये योग्य नहीं होंगे।
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