उर्दू
फारसी
अरबी
तुर्की
अखिल भारतीय स्तर पर सरकारी कामकाज तथा अन्य बातों के लिए फारसी तथा सांस्कृतिक भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका तथा भक्ति आंदोलन के प्रभाव से प्रांतीय भाषाओं का विकास हो चुका था। प्रांतीय भाषाओं के विकास का एक और कारण स्थानीय तथा प्रांतीय राजाओं द्वारा दिया गया। संरक्षण तथा प्रोत्साहन था। 16 वीं और 17 वी शताब्दी में यह धाराएं जारी रही। अकबर के काल में फारसी के अलावा स्थानीय भाषा भी प्रचलित थी।
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