1857 के विद्रोह का समर्थन किया था
1857 के विद्रोह का विरोध किया था
1857 के विद्रोह का से तटस्थता बनाए रखी थी
देशी शासकों के विरुद्ध युद्ध किया था
1857 ई. के इस विद्रोह के प्रति ‘शिक्षित वर्ग’ पूर्ण रूप से उदासीन रहा। व्यापारियों एवं शिक्षित वर्ग ने कलकत्ता और मुम्बई से सभाएं कर अंग्रेजों की सफलता के लिए प्रार्थना भी की थी। अगर इस वर्ग अपने लेखों एवं भाषणों द्वारा लोगों में उत्साह का संचार किया होता तो निःसंदेह ही क्रांति के इस विद्रोह का परिणाम कुछ और ही होता।
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