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वावणकोर के दीवान वेलू थम्पी ने कंपनी की बढ़ती ज्यातियों के खिलाफ में किया। वेलू थम्पी ने 1808 में फ्रांस एवं अमेरिका से भी अंग्रेजों के विरूद्ध सहायता के लिए सम्पर्क स्थापित किया था। वेलू थम्पी ने स्थानीय शासकों से भी सहयोग के लिए सम्पर्क किया पर किसी ने सहयोगद नहीं किया। अंत में 1809 ई. में कंपनी की सेना के बहुत बढ़ आने पर वेलू थम्पी ने आत्महत्या कर ली, पर आत्मसमर्पण नहीं किया।
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