बंकिमचंद्र चटर्जी
स्वामी विवेकानंद
रामकृष्ण परमहंस
राजा राममोहन राय
1893 में, शिकागो में हुए विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे स्वामी विवेकानन्द जब भाषण की शुरूआत मेरे अमेरिकी भाईयों और बहनों से की तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। इन भाषणों ने दुनियां में भारत की छवि को मजबूत किया। तौलियों की गड़गड़ाहट बंद होने के बाद उन्होंने भारत, हिन्दु धरम और भारतीय जन के मन में बसी सहिष्णुता, उदारता, सर्व धर्म, समभाव का जो अद्भुत वर्णन किया। केवल सात मिनट में उन्होने सात युगों का सार बता दिया। विश्व की भारत के प्रति दृष्टि ही बदल गई।
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