भगत सिंह
राजगुरु
आजाद
बिस्मिल
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है। यह पंक्ति बिस्मिल की है जो आगे जाकर बिस्मिल की यह गजल सभी क्रांतिकारी जेल से पुलिस की गाड़ी में अदालत जाते हुए, अदालत में मजिस्ट्रेट को चिढ़ाते हुए और अदालत से लौट कर वापस जेल आते हुए, एक साथ गाया करते थे। बिस्मिल की शाहादत के बाद उनका यह जीत क्रांतिकारियों के लिए मंत्र बन गया था।
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