बटुकेश्वर दत्त के साथ
सुखदेव के साथ
राजगुरु के साथ
चंद्रशेखर आजाद के साथ
23 मार्च 1931 को ब्रिटिश हुकूमत ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को लाहौर असेंबली में ब्लास्ट करने के आरोप में फांसी दी थी। शहादत के बाद भारत - पाक बार्डर से एक किमी. दूर बसे हुसैनीवाला गाँव जो फिरोजपुर (पंजाब) में इन तीन समितियों में से पहली समिति प्रथम मित्र सरला देवी नामक एक बंगाली महिला के हाथों में था तथा तीसरी के नेता अरविन्द घोष थे।
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