भगत सिंह
अशफाक उल्लाह
सूर्यसेन
रामप्रसाद बिस्मिल
'चटगांव आर्मरी रेड' के नामक मास्टर सूर्यसेन जिन्होंने अंग्रेज सरकार को सीधे चुनौती दी थी। जब यह इंटरमीडिएट के विद्यार्थी थे उस समय यह 'अनुशीलन समिति' के सदस्य बन गए। इस समय इनकी आयु 22 वर्ष की थी। सूर्यसेन ने 18 अप्रैल, 1930 की रात चटगांव के दो शस्त्रागारों को लूटने का ऐलान कर दिया। 12 जनवरी, 1934 को सूर्यसेन को तारकेश्वर के साथ फांसी की सजा दी गई।
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