खुदीराम बोस
सुखदेव
हेमु कालणी
अशफाकुल्लाह खां
खुदीराम बोस को उन्हें अदालत में पेश किया गया और 13 जून को उन्हें प्राण दण्ड की सजा सुनाई गई। यह बात न्याय के इतिहास में केवल एक मजाक बनी रही कि इतना संगीन मुकद्दमा और केवल पाँच दिन में समाप्त हो गया। 11 अगस्त, 1908 को इस वीर क्रांतिकारी को फांसी पर चढ़ा दिया गया। इनको मुजफ्फरपुर जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
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