मानवता
धर्म
सत्ता
नैतिकता
महात्मा गाँधी पैगम्बर होने के साथ-साथ एक राजनीतिज्ञ भी थे। उनके लिए यह परिस्थिति बड़ी कष्टदायक थी कि राजनीति में मैक्यावलीय प्रकृति की भी प्रधानता होनी चाहिए। जिसका मतलब होता है कि राजनीति धर्म रहित हो और छल छद्मयुक्त राजनीति में साम्राज्य की प्रमुखता हो। उन्होंने इस प्रकार की कुटिल राजनीति को जो नैतिकता विहीन हो, किसी भी दशा में उचित नहीं माना। गाँधी जी का विचार था कि राजनीति को नैतिकता व मानव कल्याण का साधन होना चाहिए।
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