उनके सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु कोष अलग करके
उनके मंदिर प्रवेश द्वारा
उनके सहायता प्रदान करके
उनके लिए कुटीर उद्योग स्थापित करके
एम. के गाँधी के अनुसार असपृश्यों का सामाजिक आर्थिक सुधार उनके लिए कुटीर उद्योग स्थापित करके संपन्न किया जा सकता है। आज गाँधी जी का यह विचार केवल भारत में ही नहीं पूरे विश्व में आर्थिक संकट से उबरने में प्रयोग किया जाता है।
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