सरदेशमुखी
चौथ
अबवाब
जमादानी
भूमिकर के अतिरिक्त शिवाजी की आय का एक अन्य प्रमुख स्त्रोत चौथ थी। यह पड़ोसी राज्यों से वसूल की जाती थी। इसकी मात्रा राज्य की आय की एक चौथाई (1/4) होती थी। इस कर के बदले में पड़ोसी राज्यों को शिवाजी के आक्रमण तथा लूटपाट से बचाने का आश्वासन प्राप्त हो जाता था, जबकि सरदेशमुखी कर पड़ोसी राज्यों से वसूल किया जाता था। यह उस प्रदेश के भूमि कर का 1/10 (या 10%) भाग होता था। सरदेशमुखी वसूल करना शिवाजी अपना कानूनी अधिकार मानते थे, क्योंकि वे महाराष्ट्र के पुश्तैनी सरदेशमुख थे।
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