यह फसलो के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि लता है
यह कुछ मृदाओं को अपारगम्य बना देता है
यह भौम जलस्तर को ऊपर ले जाता है
यह मृदा के वायु अवकाशों को जल में भर देता है
मृदा में सिंचित जल के वाष्पीकृत होने के बाद वहाँ नमक शेष रह जाते हैं जो मृदा में मिलकर उन्हें क्षारीय बनाते हैं तथा साथ ही साथ यह मृदा के छोटे -छोटे छिद्र में पहुँच कर उसे अपारगम्य बनाते हैं जिससे उस मृदा की उर्वरक क्षमता कम होने लगती है। वह एक अनुपजाऊ भूमि बन जाता है।
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