बेरुबारी मुकदमा
गोलकनाथ मुकदमा
केशवानन्द भारती मुकदमा
उपरोक्त किसी में नहीं
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य विवाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया - प्रस्तावना संविधान का भाग है एवं मौलिक अधिकार में परिवर्तन संसद कर सकता है लेकिन गोलक नाथ बनाम पंजाब राज्य विवाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद नागरिकों के मूल अधिकारों में परिवर्तन का अधिकार नहीं रखती है। बेरूवाडी विवाद (1960) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है इसलिे विधायिका इसमें संशोधन नहीं कर सकता। लेकिन जहाँ संविधान की भाषा संदिग्ध हो वहां प्रस्तावना विधिक निर्वाचन में सहायक होगा।
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