विधायिका के दोनो सदनों से लिये जाते है
लोकप्रिय सदन से लिए जाते है
किसी भी सदन के सदस्य नही होते है
मंत्री बनने के पश्चात विधायिका के सदस्य बन जाते है
अध्यक्षात्मक व्यवस्था शक्ति के पृथक्कीकरण सिध्दांत पर आधारित होता है एतएव कार्यपालिका अर्थात मंत्री परिषद के सदस्य को व्यवस्थापिका का सदस्य होना आवशयक नहीं होता है।
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