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वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। वे 101 वर्ष के थे। वर्ष 1996 में उनको उनकी पुस्तक 'पाखी' पर साहित्य अकादमी ने फेलोशिप दी और दो साल बाद साल 1998 में उपन्यास ‘तौशाली दी हांसो’ पर उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। साल 2007 में पंजाब सरकार द्वारा साहित्य शिरोमणि अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
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