केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
इनमें से कोई नहीं
बाबर की मृत्यु के पश्चात दिसम्बर 1530 ई. में हुमायूँ आगरा की गद्दी पर बैठा। उस समय वह 23 वर्ष का था। 1532 ई. में दौराह (बिहार) नामक स्थान पर अफगान सेना को परास्त करते हुए हुमायूँ ने चुनार दुर्ग पर घेरा डाला जो पूर्वी भारत के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता था। चुनार दुर्ग अफगान सरदार शेर खाँ के अधिकार क्षेत्र में था। यहीं पर हुमायूँ का सामना शेर खाँ से हुआ था।
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