खफी खान
हरचरणदास
दत्ताजी पिंगले
काशीराज पंडित
काशीराज पंडित पानीपत के तृतीय युध्द के प्रत्यक्षदर्शी थे। काशीराज पण्डित ने कूट संदेश के रूप में पेशवा बालाजी बाजीराव को पानीपत के तृतीय युद्ध के विषय में लिखा कि "दो मोती बिलियन हो गये, 22 सोने की मुहरे लुप्त हो गई तथा चाँदी और ताँबे की तो पूरी गणना ही नहीं की जा सकती।" पानीपत तृतीय युद्ध के विषय में सरदेसाई ने लिखा है कि "इस युद्ध ने यह निश्चित नहीं किया कि भारत पर कौन शासन करेगा, बल्कि यहब निश्चित किया कि भारत पर कौन शासन नहीं करेगा, अर्थात् मराठे।" पानीपत का तृतीय युध्द 14 जनवरी, 1761 को हुआ था। इस युध्द में मराठा सेना का प्रतिनिधित्व सदाशिवराव भाऊ और अफगान सेना का नेतृत्व अहमदशाह अब्दाली ने किया, जिसमें मराठा सेना की पराजय हुई।
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