बंदी प्रत्यक्षीकरण
परमादेश
प्रतिषेध
उत्प्रेषण
परमादेश का शाब्दिक अर्थ है कि, हम आदेश देते हैं। इसके तहत न्यायालय ऐसे किसी भी सार्वजनिक प्राधिकारी, अधिकारी तथा न्यायिक निकायों आदि के विरूध्द आदेश जारी कर सकता है, जो सार्वजनिक कर्तव्यों या कानूनी दायित्वों के पालन की उपेक्षा या इससे इंकार करते हैं। इस रिट के माध्यम से न्यायालय किसी अधिकारी को उसके संवैधानिक तथा कानूनी अधिकारों के प्रयोग के बारे में निर्देश दे सकता है कि, वह संविधान या कानून द्वारा उसे सौपें गये कर्तव्यों का पालन करे। रिट जारी करने की शक्ति उच्चतम न्यायालय को अनुच्छेद-32 एवं उच्च न्यायालय को अनुच्छेद-226 के अन्तर्गत प्रदान की गयी है।
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