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कर्नाटक के प्रसिद्ध लोकनाट्य यक्षगान की 900 से अधिक लिपियों (Script) को डिजिटलीकरण करके सार्वजनिक कर दिया गया। इन लिपियों में वर्ष 1905 में छपा ‘प्रह्लाद चरित्र’, वर्ष 1907 का ‘रामाश्वमेध’, वर्ष 1913 का ‘पुत्राकामेस्ती’, वर्ष 1929 का ‘कनकंगी कल्याण’ K, वर्ष 1931 का कुमुधावती कल्याण और वर्ष 1938 में छपे ‘संपूर्ण रामायण’ को मुख्य रूप से शामिल किया गया है। इन लिपियों का डिजिटलीकरण करके गूगल ड्राइव में पीडीएफ प्रारूप में संरक्षित किया गया है। ये लिपियाँ www.prasangaprathi sangraha.com पर उपलब्ध हैं और इनको ‘प्रसंग प्राथी संग्रह’ (Prasanga Prathi Sangraha) एप के माध्यम से भी उपलब्ध कराया गया है।
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