बेरोजगार व्यक्तियों से।
गृहणियों में बेरोजगारी से।
60 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों में बेरोजगारी से।
किसी कार्य में आवश्यकता से अधिक व्यक्तियों के संलग्न होने से।
छिपी अथवा प्रच्छन्न बेरोजगारी का अर्थ है- किसी कार्य में आवश्यकता से अधिक व्यक्तियों का संलग्न होना। अर्थात्, यदि उस कार्य से कुछ व्यक्तियों को हटा दिया जाए तो भी कुल उत्पादकता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस स्थिति में लोग रोजगार में लगए हुए दिखाई तो देते हैं, परन्तु, वास्तव में वे बेरोजगारी होते हैं, क्योंकि उनकी सीमान्त उत्पादकता शून्य होती है।
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