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क्या है पूल टेस्टिंग- दरअसल, कोविड-19 को कंट्रोल करने का सबसे बेहतर तरीका है, ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग। लेकिन टेस्टिंग किट इसकी तुलना में बेहद कम हैं। पूल टेस्टिंग में नाक और गले के स्वैब के नमूने लिये जाते हैं। स्वैब सैंपल आरएनए आधारित होते हैं और शरीर में वायरस के आरएनए जीनोम के सबूत की खोज में मदद करते हैं। यूपी में इसके तहत पांच लोगों के सैंपल को मिक्स कर उसे सुपर सैंपल बनाया जाएगा, जिसे जांच के लिए भेजा जाएगा। जांच में रिपोर्ट निगेटिव आती है उन सभी पांच लोगों में कोई खतरा नहीं है, लेकिन यदि रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो सभी पांचों का दोबारा सैंपल लेकर अलग-अलग टेस्ट होगा। प्रतिदिन 100 पूल सैंपल लेने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तर प्रदेश में आगरा सहित 15 जिलों में पूल टेस्टिंग शुरु हो गई। यह टेस्ट ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों और प्रवासियों के इकट्ठा होने वाली जगहों पर किए जाएंगे। सबसे पहले पूल टेस्टिंग का काम केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह में हुआ था। ICMR (इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च) ने उत्तर प्रदेश को इसकी अनुमति दी। दुनिया में सबसे पहले इजरायल और दक्षिण कोरिया ने यह तरीका अपनाया था।
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