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न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल द्वारा जारी किए गए उस सरकारी आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें अनुसूचित जनजाति (ST) शिक्षकों के लिए पूर्ण आरक्षण की पुष्टि की गई थी। दरअसल, आंध्र सरकार ने 20 साल पहले वर्ष 1986 में अधिसूचित क्षेत्रों के स्कूलों की शिक्षक भर्ती में अनुसूचित जनजातियों को 100 फीसदी आरक्षण देने का आदेश दिया था। इस मामले को अनोखा मानते हुए वर्ष 2000 के सरकारी आदेश के तहत हुई शिक्षकों की इन नियुक्तियों को सशर्त जारी रखने का निर्णय लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी जजमेंट को भी दोहराया है, जिसके अनुसार आरक्षण संवैधानिक रूप से वैध है अगर वह 50 प्रतिशत से आगे नहीं जाते हैं।
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