केवल 1 सही है
केवल 2 सही है
केवल 2 & 3 सही है
केवल 1 & 2 सही है
क्या है ओजोन परत ? ओजोन लेयर पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में पाया जाता है। इसे स्ट्रैटोस्फीयर कहा जाता है, पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर के बीच ओजोन की परत के कारण धरती पर सूरज की अल्ट्रावॉयलट किरणें नहीं आ पाती हैं, साथ ही धरती को हानिकारक रेडिएशन से बचाता है जिसकी वजह से कैंसर होता है। कब ढूंढा गया था ओजोन होल ? इस वर्ष मार्च में वैज्ञानिकों द्वारा पहली बार छेद की पहचान की गई थी, यह ओजोन का सबसे बड़ा होल माना जाता रहा है। अगर यह दक्षिण की तरफ बढ़ता जाता है तो यह बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार आर्कटिक ओजोन परत के क्षरण के लिए ठंडे तापमान (-80 डिग्री सेल्सियस से कम), सूर्य के प्रकाश, पवन क्षेत्र और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) जैसे पदार्थ जिम्मेदार थे। मुख्य तौर पर बादल, क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन्स। इन तीनों की मात्रा स्ट्रेटोस्फेयर (10 से 50 किलोमीटर ऊपर) में बढ़ गई थी। इनकी वजह से स्ट्रेटोस्फेयर में जब सूरज की अल्ट्रवायलेट किरणें टकराती हैं तो उनसे क्लोरीन और ब्रोमीन के एटम निकल रहे थे। यही एटम ओजोन लेयर को पतला कर रहे थे, जिसके उसका छेद बड़ा होता जा रहा था। कैसे ठीक हुआ ओजोन होल ? इसकी बड़ी वजह से पोलर वोर्टेक्स (ध्रुवीय भंवर) को बताया जा रहा है। ध्रुवीय इलाकों में उपरी वायुमंडल में चलने वाली तेज़ चक्रीय हवाओं को पोलर वोर्टेक्स (ध्रुवीय भंवर) बोलते हैं। कम दबाव वाली मौसमी दशा के कारण स्थायी रूप से मौजूद ध्रुवीय तूफ़ान उत्तरी गोलार्द्ध में ठंडी हवाओं को आर्कटिक क्षेत्र में सीमित रखने का काम करते हैं। इसे बेहद हल्का चक्रवात कह सकते हैं। वैज्ञानिकों ने माना है कि परत के भरने की वजह कोरोना वायरस को रोकने के लिए उठाए गए लॉकडाउन जैसे कदम नहीं हैं, जिससे पलूशन का स्तर काफी कम हुआ है।
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