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यह प्लाज्मा बैंक ILBS हॉस्पिटल (इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीएरी साइंस) में बनाया जाएगा। प्लाज्मा केवल वही लोग दे सकते हैं जो कोरोना ग्रस्त हुए और अब ठीक हो गए हैं। एलएनजेपी में पिछले कुछ दिनों में 35 मरीजों को प्लाज्मा दिया गया, जिनमें 34 की जान बच गई। यह पूरे देश में शायद पहला प्लाज्मा बैंक होगा जो ILBS हॉस्पिटल में बनाया जाएगा और इसके लिए डॉक्टर की सिफारिश जरूरी होगी। खून में 55 प्रतिशत हिस्सा प्लाज्मा होता है और इसका मूल रंग पीला होता है। क्या है ब्लड प्लाज्मा थेरपी ? इस थेरपी में उन लोगों के खून का इस्तेमाल किया जाता है, जो इलाज के बाद ठीक हो चुके होते हैं। मतलब कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज के ब्लड प्लाज्मा में जो ऐंटीबॉडी होते हैं वे दूसरे रोगी के खून में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार होते हैं। ब्लड प्लाज्मा 100 से भी ज्यादा साल पुरानी थेरपी है, 1918 के फ्लू, चेचक, निमोनिया और अन्य कई तरह के संक्रमण में यह तरीका का काम आया था।
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