वालेस फार्मास्यूटिक्ल
जाइडस कैडिला
इप्का लैबोरेटरीज
भारत बायोटेक इंडिया
यह हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने पहले और दूसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू करने की मंजूरी दे दी है। Covaxin ‘कोवाक्सिन’ क्या है और इसे कैसे विकसित किया गया ? भारत बायोटेक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ.कृष्णा एल्ला ने कहा ये यह देश में तैयार होने वाली कोरोना की पहली वैक्सीन है। इसे कंपनी ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे के साथ मिलकर वैक्सीन को बनाया गया है। इसमें डेड वायरस का यूज किया गया है। मतलब मृत वायरस, ऐसे वायरस निष्क्रिय होते हैं। इसकी वजह से शरीर एक एंटीबॉडी रिएक्शन करता है। एंटीबॉडी बनाता है, यह मानकर कि वायरस आ चुका है। चूकि यह डेड वायरस होता है, इसलिए इसका नुकसान नहीं होता है। वैक्सीन के ट्रायल में कितना वक्त लगेगा ? यह क्लीनिकल ट्रायल जुलाई में होना है। एक महीने तक बड़े पैमाने पर लोगों की अनुमति से टीके लगाए जाएंगे और इसका बारीकि से अध्ययन किया जाएगा। ट्रायल में वक्त ज्यादा लगता है, क्योंकि वैक्सीन देने के बाद ऐसा नहीं है कि उस व्यक्ति को ओरिजनल कोरोना वायरस से इंफेक्ट कर दिया जाए। उस व्यक्ति के मूवमेंट पर नजर रखी जाती है, कि वह कहां गया और उसके संपर्क के कितने लोग इन्फेक्टेड हुए।
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