7 जुलाई
6 जुलाई
8 जुलाई
9 जुलाई
हाल ही में ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (UNEP) तथा ‘अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान’ (International Livestock Research Institute- ILRI) द्वारा COVID-19 महामारी के संदर्भ में ‘प्रिवेंटिंग द नेक्स्ट पेंडेमिक: ज़ूनोटिक डिजीज़ एंड हाउ टू ब्रेक द चेन ऑफ ट्रांसमिशन’ नामक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इस रिपोर्ट में मनुष्यों में होने वाली ज़ूनोटिक बीमारियों की प्रकृति एवं प्रभाव पर चर्चा की गई है। 6 जुलाई, 1885 को फ्रांसीसी जीवविज्ञानी लुई पाश्चर द्वारा सफलतापूर्वक जूनोटिक बीमारी रेबीज़ के खिलाफ पहला टीका विकसित किया था। रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्यों में 60% ज्ञात ज़ूनॉटिक रोग हैं तथा 70% ज़ूनोटिक रोग ऐसे है जो अभी ज्ञात नहीं हैं। विश्व में हर वर्ष निम्न- मध्यम आय वाले देशों में 10 लाख लोग ज़ूनोटिक रोगों के कारण मर जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अगर पशुजनित बीमारियों की रोकथाम के प्रयास नहीं किये गए तो COVID-19 जैसी अन्य महामारियों का आगे भी सामना करना पड़ सकता है। जूनोसिस / जूनोटिक रोग: ऐसे रोग जो पशुओं के माध्यम से मनुष्यों में फैलते है उन्हें जूनोसिस या जूनोटिक रोग कहा जाता है। जूनोटिक संक्रमण प्रकृति या मनुष्यों में जानवरों के अलावा बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के माध्यम से फैलता है। एचआईवी-एड्स, इबोला, मलेरिया, रेबीज़ तथा वर्तमान कोरोनावायरस रोग (COVID-19) जूनोटिक संक्रमण के कारण फैलने वाले रोग हैं।
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