सऊदी अरब
कतर
यूएसए
ईरान
ऐसा पहली बार है, जब भारत ने विदेश में स्ट्रैटजिक ऑयल रिजर्व बना रहा है। इसके अनुसार इंडियन पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान और USA के सेक्रेटरी ऑफ एनर्जी डैन ब्रूइलेट ने वर्चुअल मीटिंग के दौरान MOU साइन किया है। हम, अमेरिका में तेल जमा करने यानी स्टोरेज की जगह को किराए या लीज पर ले रहे हैं। भारत अमेरिका से तेल खरीदेगा, लेकिन वहीं पर स्टोर करके रख देगा। इंडिया के पास पैसे हैं, और सरकार चाहती भी हैं कि तेल खरीद कर स्टोर कर लें। लेकिन देश में ऑयल को स्टोर करने के लिए जो स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व है, वह भर चुका है। इंडिया केवल 39 मिलियन बैरल (3 करोड़ 90 लाख बैरल) ही स्टोर कर सकता है। मतलब हमारी इतनी क्षमता है और ये दुनिया के बिग कंट्री से यह कम है। उदाहरण के तौर पर, USA के पास 730 मिलियन बैरल स्टोरेज कैपेसिटी है। चीन के पास 550 मिलियन बैरल, जापान 528 मिलियन बैरल और साउथ कोरिया 214 मिलियन बैरल ऑयल स्टोर कर सकता है तो ऐसे में अभी गोल्डेन अपॉच्युनिटी है, सस्ते में क्रूड ऑयल खरीदकर स्टोर कर लेने का। लेकिन हम पहले ही क्रूड आयल इतना खरीद चुके हैं कि हमारा सारा पेट्रोलियम रिजर्व भर चुका है और हम तुरंत नया पेट्रोलियम रिजर्व देश में बना भी नहीं सकते हैं। क्योंकि क्रूड आयल को सेफ तौर पर स्टोर करने की गाइडलाइन है। इसे कहीं भी स्टोर नहीं किया जा सकता है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि क्रूड आयल को ऐसे समय के लिए भी स्टोर किया जाता है, ताकि नेचुरल डिजास्टर, वॉर आदि में काम आ सके।
Post your Comments