50 करोड़ डॉलर
40 करोड़ डॉलर
30 करोड़ डॉलर
80 करोड़ डॉलर
करंसी अदला-बदली (स्वेपिंग) व्यवस्था नवंबर, 2022 तक उपलब्ध रहेगी। क्या होती है करंसी स्वेपिंग? दरअसल, दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय कारोबार डॉलर में होता है। हम जो भी सामान विदेश से खरीदते या बेचते हैं, वो डॉलर में होता है, इसलिए डॉलर का प्रभाव बहुत ज्यादा है। इसके लिए RBI को डॉलर खरीदकर रखना पड़ता है तो डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए भारत ने कई देशों के साथ करंसी स्वेपिंग का समझौता किया है। इसके तहत होगा कि दो देशों के बीच खरीद-बिक्री उन्हीं की करंसी में होगी। जैसे, श्रीलंका से हम कोई सामान खरीद रहे हैं, तो हम उन्हें इंडियन रुपी (रुपया) दें और अगर श्रीलंका हमने सामान ले रहा है तो, वो हमें श्रीलंकन रुपी (रुपया) दे। ऐसे में उस वक्त के विनियम दर (कन्वर्जन रेट) के अनुसार दोनों देशों की केंद्रीय बैंक आपस में मुद्रा कन्वर्ट कर लेती हैं, इसे करंसी स्वेपिंग कहते हैं। मई 2020 में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने भारत से 1.1 अरब डॉलर की विशेष मुद्रा अदला-बदली सुविधा के लिए अतिरिक्त आग्रह किया था। भारत, अन्य देशों के साथ भी करंसी स्वेपिंग का समझौता करता रहा है। जैसे ईरान से जब हम तेल लेते थे, तो उसे डॉलर नहीं, बल्कि रुपया देते थे। भारत और दक्षेस – सार्क देश (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के अन्य देशों के साथ भी समझौता कर रहा है। इससे श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होगा और कोविड-19 से प्रभावित देश में वित्तीय स्थिरता हो सकेगी। RBI के गवर्नर: शक्तिकांत दास मुख्यालय: मुंबई श्रीलंका की राजधानी – श्रीजयवर्धने कोट्टे राष्ट्रपति – गोटाबाया राजपक्षे प्रधानमंत्री – महिंदा राजपक्षे
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