प्रश्नकाल
शून्यकाल
उपर्युक्त दोनों
इनमें से कोई नहीं
हाल ही में 14 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक चलने वाले मानसून सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। विपक्षी सांसदों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे वे सरकार से प्रश्न करने का अधिकार खो देंगे। संसद से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य - प्रश्नकाल: संसदीय कार्यवाही का पहला एक घंटा प्रश्नकाल के लिये निर्धारित होता है। इस अवधि के दौरान संसद सदस्यों द्वारा मंत्रियों से प्रश्न पूछे जाते हैं। मंत्री सामान्यत: इन प्रश्नों का उत्तर देते हैं। ‘प्रश्नकाल’ में पूछे गए प्रश्न निम्नलिखित श्रेणी के होते हैं: तारांकित प्रश्न: ऐसे प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा मौखिक रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जाने की अनुमति होती है। अतारांकित प्रश्न: ऐसे प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा लिखित रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिलता है। अल्पसूचना प्रश्न: इस प्रकार के प्रश्नों को कम-से-कम 10 दिन का पूर्व नोटिस देकर पूछा जाता है, तथा प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा मौखिक रूप से दिया जाता है। शून्यकाल: यह संसदीय कार्यप्रणाली का अनौपचारिक साधन है, संसद सदस्य बिना किसी पूर्व सूचना के किसी भी मामले को उठा सकते हैं। शून्यकाल का समय प्रश्नकाल के तुरंत बाद अर्थात दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक होता होता है। संसदीय प्रक्रिया में यह ‘नवाचार’ भारत की देन है। सामन्यता संसद में 3 सत्र होते है - बजट अधिवेशन (फरवरी-मई) मानसून अधिवेशन (जुलाई-अगस्त) शीतकालीन अधिवेशन (नवंबर-दिसंबर)
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