तीन लाख करोड़ रूपए
पांच लाख करोड़ रूपए
8 लाख करोड़ रूपए
दो लाख करोड़ रूपए
हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने से भारत में भविष्य की आय में भारी गिरावट देखी जा सकती है। विश्व बैंक द्वारा जारी ‘बीटन ऑर ब्रोकन? इंफोर्मैलिटी एंड COVID-19’ के नाम से जारी दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस रिपोर्ट में COVID-19 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद होने से अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों की समीक्षा की गई है। COVID-19 महामारी के कारण दक्षिण एशिया में लगभग 55 लाख बच्चे स्कूलों से बाहर हो सकते हैं। यूनेस्को द्वारा जारी ‘वैश्विक शिक्षा निगरानी-2020’ रिपोर्ट में COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक शिक्षा अंतराल में वृद्धि की बात कही गई थी। COVID-19 महामारी के कारण स्कूलों का संचालन पूरी तरह से रुक गया है और स्कूलों के बंद रहने के दौरान बच्चों को पढ़ाने का प्रयास चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के बढ़ते एकीकरण के कारण COVID-19 संक्रमण के प्रसार में वृद्धि हुई है। संक्रमण के प्रसार को रोकने हेतु सोशल डिस्टेंसिंग जैसे प्रयासों के कारण आतिथ्य क्षेत्र (होटल आदि) के संचालन हेतु बड़े बदलावों की आवश्यकता होगी जिसमें काफी समय लग सकता है। COVID-19 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद रहने से भारत में भविष्य की आय में 420-600 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट देखने को मिल सकती है। दक्षिण एशिया में एक औसत बच्चे के श्रम बाज़ार में प्रवेश करने के बाद उसे अपनी जीवन भर की कमाई में 4,400 अमेरिकी डॉलर की क्षति हो सकती है। COVID-19 महामारी की वैक्सीन का सफल परीक्षण और बड़े पैमाने पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित होने तक इस महामारी के प्रसार में कमी हेतु अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के नए विकल्पों को अपनाना होगा। COVID-19 की चुनौती से सीख लेते हुए शिक्षण में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ ही सभी तक शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान देना होगा। केंद्र सरकार द्वारा जारी नई शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित बदलाव इस दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
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