भास
शूद्रक
विशाखदत्त
शूद्रक
विशाखदत्त में चंद्रगुप्त मौर्य का विशिष्ट रूप वर्णन हुआ है। ब्राह्मण साहित्य और विशाखदत्त द्वारा रचित मुद्राराक्षस आदि के आधार पर चंद्रगुप्त को शुद्ध माना गया किंतु इस मत को भी स्वीकार नहीं किया जाता है क्योंकि चंद्रगुप्त मौर्य को अपने साम्राज्य निर्माण चाणक्य के अपार सहायता प्राप्त हुई थी।
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